उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने शिक्षा को सामाजिक बदलाव का माध्यम बताते हुए कहा है कि खासकर भारत जैसे देश में महिलाओं के सशक्तिकरण की नीवं इससे ही पड़ती है।हैदराबाद में यूनिवर्सिटी कॉलेज फॉर वुमेन के दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा,अगर महिलाएं पिछड़ी रही तो कोई भी देश प्रगति नहीं कर सकता।
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एक महिला को शिक्षित करने से केवल एक व्यक्ति नहीं बल्कि पूरा परिवार सशक्त बनता है। लैंगिक असमानता के प्रति चिंता व्यक्त करते हुए उन्होंने लोगों को चेताया कि विभिन्न क्षेत्रों में महिलाओं को पीछे रखने के गंभीर परिणाम हो सकते है।एम वेंकैया नायडू ने रूढ़ियों और पुराने चलन की दीवारों को गिराने का आह्वान करते हुए कहा कि देश की आधी आबादी को अपनी बात कहने और सुनने का पूरा मौका दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि महिलाओं को सशक्त बनाना एक तरह से पूरे समाज को सशक्त बनाना है।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि शिक्षा सिर्फ रोजगार के लिए नहीं होती बल्कि इससे व्यक्ति के ज्ञान और बौद्धिक क्षमता का विकास होता है। शिक्षा से व्यक्ति सशक्त बनता है। उन्होंने कहा कि महिलाओं की जरूरत हर क्षेत्र में है। महिलाओं को बराबरी का अधिकार देने के लिए सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और न्यायिक क्षेत्र को सशक्त बनाना होगा।
नायडू ने कहा कि लोकतंत्र को सशक्त बनाने के लिए राजनीति में महिलाओं की भागीदारी को जरूरी है।उन्होंनें इस संदर्भ में स्वामी विवेकानंद के उस कथन का उदाहरण दिया जिसमें उन्होंने कहा था कि महिलाओं की स्थिति बेहतर बनाए बिना विश्व का कल्याण संभव नहीं है। क्योंकि कोई भी पक्षी केवल एक पंख से नहीं उड़ सकता।