नई दिल्ली। अन्तर्राष्ट्रीय विधवा दिवस पर उप राष्ट्रपति वैंकेया नायडू ने कहा कि हमें अपने दिमाग की संकीर्णता को दूर करने की जरूरत है। जैसे कि एक विधुर व्यक्ति विवाह कर सकता है, लेकिन महिला क्यूं नहीं। हमें अपने दिमाग में दो महत्वपूर्ण सामाजिक बदलाव लाने के बारे में सोचना होगा, जिससे विधवाओं की दशा सुधरे।
इसके साथ ही हमें इसे स्वीकार करना भी होगा कि अगर हम समाज में विधवाओं की दशा सुधारना चाहते हैं । तो हमें अपनी संकीर्णता के दायरे से बाहर आना होगा।
विधवाओं की दशा सुधारें के लिए अपनी सोच बदलनी होगी बोले उप राष्ट्रपति नायडू
शनिवार को राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में आयोजित एक समारोह में उपराष्ट्रपति नायडू ने इन सभी बातों का जिक्र करते हुए कहा। जब व्यक्ति अपनी पत्नी को खो देता है तो वह दूसरी शादी कर लेता है। लेकिन औरत क्यूं नहीं कर सकती है। इसके लिए हमें सामाजिक स्तर पर अपनी सोच में बदलाव लाने की जरूरत है। जिससे विधवा औरत का जीवन सुधर सकता है।
इसके साथ ही उप राष्ट्रपति वैकेया नायडू ने कहा कि विधवाओं को स्वालम्बी बनाने के लिए सरकार को महत्वपूर्ण कार्य करने हैं। इसके साथ ही उनके बच्चों की उचित शिक्षा हेतु भी प्रबंध करना होगा। इस कार्यक्रम का आयोजन लोम्बा फाउंडेशन द्वारा विज्ञान भवन में किया गया था। इस कार्यक्रम में केन्द्रीय कानून एवं न्याय मंत्री रवि शंकर प्रसाद भी मौजूद थे।
इस मौके पर उन्होने कहा कि विधवाओं के कल्याण को लेकर सरकार द्वारा चलाए जा रहे कार्यक्रम काफी नहीं हैं। हमें इस बारे में एक जन आंदोलन की आवश्यकता है।