प्रदूषण का खतरा पूरी दुनिया में देखने को मिल रहा है।इसके लिए इन दिनों विदेशों में गाड़ियों से सड़कों पर होने वाले वायु प्रदूषण को कम करने की तर्ज़ पर फ़्लाई ओवरों के पिलरों पर वर्टिकल गार्डन बनाया जा रहा है।हमारे देश में भी इसी को देखते हुए इस तरह के गार्डन की मांग भी बड़े ही पुरज़ोर तरीक़े से उठ रही है। इसको लेकर केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड भारत सरकार ने कई प्रभावी क़दम उठाए हैं। हवा को शुद्ध करने के उद्देश्य से कई जगह पर सरकार ने कई प्लांट भी लगाए हैं। इनमें चारकोल का प्रयोग कर इसे बनाया गया है।जल्द ही इस तरह के गार्डन पर भी सरकार विचार कर सकती है।
आपको बता दें कि वर्टिकल गार्डन से सिर्फ प्रदूषण पर नियंत्रण पाया जा सकता है बल्कि इससे शहर में सुंदरता भी बढ़ती है। वर्टिकल गार्डन के द्वारा दीवारों पर या फिर पिलर्स पर फ्रेम बनाकर छोटे-छोटे गमलों के पौधों को इस तरह से लगाया जाता है कि वे सीधे एक के उपर एक हो जाते हैं और पूरा पिलर या दीवार हरी-भरी दिखाई देने लगती है।
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पर्वरणविद और वैज्ञानिक के मुताबिक वायु प्रदूषण से निपने के लिए भारत में वर्टीकल गार्डन एक बेहतर विकल्प हो सकता है।पर्यावरणविद के मुताबिक पॉल्यूशन सिगरेट और बीड़ी से ही नहीं बल्कि अगरबत्तीयों के धुएं से भी फैलता है।वैज्ञानिक ने बताया यदि कोई सिगरेट नहीं पीता है और वह अगरबत्ती के धुएं के पास बैठता है तो उसके लिए यह बहुत ही हानीकारक है।
अगरबत्ती के जलनें जो कल निकलते हैं वो ब्लड में जाकर शरीर के लिए बहुत ही हानिकारक प्रभाव डालते है।पर्यावरणविदके मुताबिक 1 ग्राम अगरबत्ती के जलने पर जो पार्टिकल निकलते हैं वह एक सिगरेट के धुएं से अधिक नुकसानदायक होते हैं।अगरबत्ती के धुएं से जो पार्टिकल निकलते हैं फेफड़ों में जम जाते हैं। नुकसानदायक हैं।इस तरह के वायु प्रदूषण से निपटने के लिए वर्टीकल गार्डन बेहतर विल्प है।