नई दिल्ली। देश में पिछली तिमाही के दौरान जीडीपी वृद्धि दर कम रहने के कारण का उल्लेख करते हुए उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने एक ऐसे कॉलेज का उदाहरण दिया, जो अच्छे परिणाम पाने के लिए कदाचार में लिप्त रहता था। जब एक सख्त प्रिंसिपल को कॉलेज में नियुक्त किया गया तो उन्होंने सभी तरह के कदाचार बंद कर दिए और छात्र परीक्षाओं में अनुत्तीर्ण हो गए। इसके परिणामस्वरुप छात्रों, शिक्षकों और प्रबंधन ने प्रिंसिपल को दोषी ठहराया है।
बता दें कि भारत के उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू यहां एम. रामचंद्रन द्वारा लिखित पुस्तक ‘द मेवरिक्स ऑफ मसूरी’ का विमोचन करने के बाद उपस्थित लोगों को कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने सरकार के वित्तीय फैसलों का विरोध करने वालों के तर्कों पर चुटकी लेते हुए ये कहा। हाल ही में जारी आंकड़ों के अनुसार पिछली तिमाही में भारत की जीडीपी ग्रोथ रेट को लेकर अंर्तराष्ट्रीय वित्तीय संस्थाओं ने अनुमान लगाए थे। जिसमें भारत की जीडीपी ग्रोथ रेट के कम होने का अनुमान लगाया गया है।
वहीं वर्ल्ड बैंक और आईएमएफ की मानें तो भारत की जीडीपी ग्रोथ रेट घट सकती है। हाल ही में भारत की जीडीपी ग्रोथ रेट गिरकर 5.7 फीसदी के स्तर पर आ गई थी, जिसके चलते मौजूदा मोदी सरकार को विरोधियों की आलोचना का शिकार होना पड़ रहा है। इसी का जवाब देते हुए उपराष्ट्रपति ने ये चुटकी ली है।