नई दिल्ली। पति की लंबी उम्र की कामना का पर्व वट सावित्री व्रत गुरुवार को मनाया गया। रांची के विभिन्न क्षेत्रों में महिलाएं सुबह से ही बरगद, आंवला, तुलसी और पीपल पेड़ की पूजा कर रही हैं।
वट वृक्ष को रक्षासूत्र बांध कर फेरे ले रही हैं। मंदिरों में भी महिलाओं की भीड़ देखी जा रही है। वट सावित्री व्रत पर महिलाएं दिन भर उपवास करेंगी।
महिलाओं ने वट वृक्ष का पूजन कर विधि-विधानपूर्वक वट सावित्री का व्रत रखा। सुबह में महिलाएं नए परिधान पहनकर पूजा की थाल के साथ पारंपरिक पूजा करने वट वृक्ष के पास पहुंची, जहां वट वृक्ष की पूजा करने के बाद वट वृक्ष के तने पर कच्चे सूत का धागा लपेटते हुए परिक्रमा कर अपने सुहाग की लंबी उम्र के लिए प्रार्थना की।
इसके बाद महिलाओं ने वट वृक्ष के नीचे ही बैठकर सामूहिक रूप से वट सावित्री व्रत की कथा सुनी।
महत्व…
वट का मतलब होता है बरदग का पेड़। बरगद एक विशाल पेड़ होता है. इसमें कई जटाएं निकली होती हैं। इस व्रत में वट का बहुत महत्व है। कहते हैं कि इसी पेड़ के नीचे सावित्री ने अपने पति को यमराज से वापस पाया था। सावित्री को देवी का रूप माना जाता है. हिंदू पुराण में बरगद के पेड़े में ब्रह्मा, विष्णु और महेश का वास बताया जाता है। मान्यता के अनुसार ब्रह्मा वृक्ष की जड़ में, विष्णु इसके तने में और शिव उपरी भाग में रहते हैं। यही वजह है कि यह माना जाता है कि इस पेड़ के नीचे बैठकर पूजा करने से हर मनोकामना पूरी होती है।