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BHU में बनेगा जेपी सेंटर, इन सुविधाओं से होगा लैस, प्रधानमंत्री करेंगे शिलान्‍यास  

BHU में बनेगा जेपी सेंटर, इन सुविधाओं से होगा लैस, प्रधानमंत्री करेंगे शिलान्‍यास  

वाराणसी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में काशी हिंदू विश्‍वविद्यालय (BHU) को जेपी (जयप्रकाश नारायण) सेंटर की सौगात मिलेगी।

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बीएचयू में बनने वाले जयप्रकाश नारायण सेंटर फॉर एक्सीलेंस इन ह्यूमैनिटी का भूमिपूजन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे। 100 करोड़ रुपए की लागत से बनने वाले जेपी सेंटर के शिलान्‍यास की तैयारियों शुरू हो चुकी हैं। शुक्रवार को सामाजिक विज्ञान संकाय के पॉलिसी एंड प्लानिंग कमेटी की मीटिंग में जेपी सेंटर का प्रस्ताव पारित किया गया।

जेपी सेंटर में मिलेंगी सुविधाएं

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 100 करोड़ में सेंटर की इमारत पर 19 करोड़ 20 लाख रुपये खर्च किए जाएंगे। इसमें अत्याधुनिक उपकरणों व सुविधाओं से लैस पांच क्लास रूम तैयार होंग, जिस पर करीब चार करोड़ 80 लाख रुपए खर्च किए जाएंगे। तीन करोड़ रुपये से एक ऑडिटोरियम, एक करोड़ 19 लाख रुपए में कांफ्रेंस हॉल, तीन करोड़ 84 लाख रुपए से 100 सीटों की लाइब्रेरी, दो करोड़ 88 लाख रुपए से शिक्षकों के 40 चैंबर और 10 लाख रुपए का कंप्यूटर लैब बनाया जाएगा।

प्रधानमंत्री मोदी को भेजा गया आमंत्रण पत्र  

संस्‍थान की ओर से प्रधानमंत्री मोदी को भवन के उद्घाटन व भूमिपूजन के लिए आमंत्रण पत्र भेज दिया गया है। इसका शिलान्यास जल्द ही कराने के बाद करीब छह महीने में भवन तैयार कर लिया जाएगा। साथ ही पीएम मोदी द्वारा जल्द ही सामाजिक विज्ञान संकाय द्वारा जेपी सेंटर के लिए निर्मित पाठ्यक्रम और इसके उद्देश्यों का ऐलान किया जाएगा। प्रोफेसर कौशल किशोर मिश्र के मुताबिक, जेपी सेंटर के लिए परिसर में जमीन तलाशी जा रही है। जमीन का निर्धारण करने के बाद PMO को रिपोर्ट भेजी जाएगी।

जेपी सेंटर पर केंद्र का सकारात्‍मक रुख

जेपी सेंटर की स्थापना पर केंद्र सरकार का रुख सकारात्मक है। इसे काशी हिंदू विश्वविद्यालय में शुरू कराने के लिए भारत सरकार ने वर्ष 2014-15 मई केंद्रीय बजट के दौरान सबसे पहले अपना विचार दिया था। इसके बाद दिसंबर, 2020 को केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने बीएचयू को पत्र जारी कर कैंपस में जेपी सेंटर की शुरुआत करने को कहा था, जिसमें जयप्रकाश नारायण के विचारों समेत दुनियाभर के तमाम राजनीतिक चिंतकों के सिद्धांतों पर अध्ययन और शोध कार्य किया जा सके।

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