शैलेंद्र सिंह, लखनऊ: देश हो चाहे उत्तर प्रदेश कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर से काफी तबाही मचाई है। हालांकि, अब अच्छी खबर ये है कि प्रदेश में कोविड की सेकेंड वेव पर लगभग काबू पा लिया गया है।
इसी बीच वाराणसी जिले के तीन इंजीनियरिंग के छात्रों ने एक ऐसा डिवाइस तैयार किया है, जो कहीं भी भीड़भाड़ इकट्ठा होने पर अधिकारियों को अलर्ट कर देगा। इससे कोरोना संक्रमण के प्रसार को रोकने में मदद मिलेगी।
डिवाइस में सेट कर सकते हैं नंबर
इस डिवाइस को अशोका इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एडं मैनेजमेंट के इंजीनियरिंग के 4th ईयर के तीन छात्रों शुभम मिश्रा, अभीष्ट कुमार रघुवंशी और किशन पाल ने मिलकर तैयार किया है। उन्होंने इस डिवाइज को एंटी कोरोना ओवरक्राउडेड अलर्ट (Anti Corona Overcrowded Alert) नाम दिया है। इस डिवाइस में पुलिस या जिम्मेदार अधिकारियों के नंबर्स सेट किए जा सकते हैं।
भारत खबर के संवाददाता शैलेंद्र सिंह से खास बातचीत में छात्र शुभम मिश्रा ने बताया कि, यह डिवाइस शॉपिंग माल, सिनेमा हॉल, सभी छोटी-बड़ी मंडियों और ऐसी जगहों पर लगाया जा सकता है, जहां चार से ज्यादा लोगों की भीड़ इकट्ठी हो। ऐसे में यह डिवाइस वहां लोगों को तो अलर्ट करेगा ही साथ में भीड़ एकत्रित होने पर दुकानों, मंडियों के नाम व लोकेशन के साथ नजदीकी थाने के अधिकारियों को कॉल कर सूचित भी करेगा।
कोरोना संक्रमण के प्रसार को रोकने में मिलेगी मदद
छात्र शुभम ने कहा कि, प्रदेश में कोरोना के मामले कम होने से धीरे-धीरे अनलॉक हो रहा है। सभी चीजों को खुलने की इजाजत मिल गई है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि कोरोना संक्रमण खत्म हो गया है। ऐसे में इस डिवाइस को उन क्षेत्रों में इनस्टॉल किया जा सकता, जहां लोगों की भीड़ जुटने की ज्यादा संभावना हो। भीड़ इकट्ठी होने पर यह डिवाइज नजदीकी थाना पुलिस अधिकारीयों को सूचना देगा, जिससे कोरोना को फैलने से रोका जा सके।
कैसे काम करता है डिवाइस?
Anti Corona Overcrowded Alert डिवाइस का साइज 2-3 फीट में है। इसे चार्ज करके किसी भी शॉपिंग मॉल, सब्जी मंडियों में लगा सकते हैं। डिवाइस के सेंसर का रेंज 1 से 4 मीटर है। इसके सेंसर के रेंज में यदि भीड़ इकट्ठी होती है तो इस डिवाइस में सेट किए गए अधिकारियों के नंबर्स पर कॉल चला जाएगा कि इस जगह पर कोविड प्रोटोकॉल का पालन नहीं हो रहा है। इससे नजदीकी अधिकारी अपनी कार्रवाई कर सकेंगे।
डिवाइस बनाने में क्या-क्या लगा?
छात्रों ने इस डिवाइस को अशोका इंस्टीट्यूट के प्रोफेसर संदीप मिश्रा के देख-रेख में तैयार किया है। शुभम मिश्रा ने बताया कि, इस डिवाइस को बनाने में जीएसएम किट, अल्ट्रासोनिक सेंसर, छह वोल्ट बैटरी, ऑर्डिनो, रिले पांच वोल्ट और स्विच का इस्तेमाल किया गया है। इसे बनाने में 15 दिन का समय लगा और 10 हजार से 12 हजार रुपए का खर्च आया है।
छात्रों के इस प्रयास को देखते हुए अशोका इंस्टीट्यूट की डायरेक्टर सारिका श्रीवास्तव ने छात्रों की तारीफ की है। उन्होंने विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग भारत सरकार को पत्र लिखकर छात्रों के अविष्कार की जानकारी भी दी है, जिससे छात्रों के अविष्कार को मार्गदर्शन मिल सके।