शैलेंद्र सिंह, लखनऊ: उत्तराखंड के चमोली में सात फरवरी को हुए ग्लेशियर हादसे में अब तक राहत बचाव कार्य अभियान चल रहा है। इस हादसे में कई लोग लापता हैं, तो कई लोगों ने अपनी जान गवाई। लेकिन, अगर इस हादसे के बारे में पूर्वानुमान हो जाता तो शायद ये दिन न देखना पड़ता।
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उत्तराखंड आपदा को देखते हुए वाराणसी स्थित अशोका इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड मैनेजमेंट की इलेक्ट्रॉनिक प्रथम वर्ष की तीन छात्राओं अन्नू सिंह, आंचल पटेल और संजीवनी यादव ने मिलकर एक ‘ग्लेशियर अलर्ट सेंसर अलार्म’ का प्रोटोटाइप तैयार किया है, जो प्राकृतिक आपदा आने पर समय रहते लोगों को अलर्ट कर देगा, जो सुरक्षा के उपाय अपनाए जा सकेंगे।
कैसे काम करेगा यह डिवाइस?
छात्राओं ने बताया कि, इस डिवाइस का ट्रांसमीटर बड़े-बड़े डैम, बांध, पहाड़ों के किनारे बसे शहर, गांव और पहाड़ों के बीच बनी सड़कों पर लगाया जाएगा, जबकि इसका रिसीवर राहत आपदा कंट्रोल क्षेत्र में लगाया जाएगा। इससे जैसे ही कोई आपदा आने वाली होगी तो ट्रांसमीटर एक सेकेंड के अंदर रिसीवर को संकेत भेज देगा, जिससे समय रहते आपदा से अलार्म से अलर्ट करके लोगों को बचाया जा सकता है। छात्राओं ने बताया कि अभी इस ट्रांसमीटर की रेंज 500 मीटर है लेकिन इस पर काम किया जा रहा है, जिससे आने वाले समय में इसे किलोमीटर तक बढ़ाया जा सके।
एक घंटे चार्ज करने पर चलेगा छह महीने
अशोका इंस्टीट्यूट के रिसर्च एंड डेवलपमेंट इंचार्ज श्याम चौरसिया के नेतृत्व में तीनों छात्राओं ने इस डिवाइस का प्रोटोटाइप सिर्फ 10 दिन में तैयार किया है। इसे चार्ज करने के लिए बिजली की आवश्यकता नहीं होगी, क्योंकि यह सोलर से चार्ज होता है। एक घंटे चार्ज होने पर यह सेंसर बिना धूप के भी छह महीने तक काम कर सकता है।
किन चीजों के उपयोग से बनाया?
छात्राओं ने बताया कि ग्लेशियर अलर्ट सेंसर अलार्म बनाने में लोहे की पाइप, छह वोल्ट सोलर प्लेट, ट्रिगर स्विच, हाई रेडियो फ्रीक्वेंसी ट्रांसमीटर, रिसीवर, पांच वोल्ट रिले, 12 वोल्ट बैटरी, सिग्नल किट, कार की रेड लाइट, हूटर, साढ़े चार फिट के दो टावर, जिसमें ट्रांसमीटर लगाया गया है। इस डिवाइस को बनाने में करीब 7-8 हजार रुपए का खर्च आया है। उन्होंने बताया कि, अभी सेंसर अलार्म का प्रोटोटाइप तैयार किया गया है।
‘लोगों को आपदाओं से बचा सकते हैं’
भारत खबर के पत्रकार शैलेंद्र सिंह ने बातचीत में अशोका इंस्टीट्यूट के रिसर्च एंड डेवलपमेंट इंचार्ज श्याम चौरसिया ने बताया कि, ‘प्राकृतिक आपदाओं में पूवार्नुमान न होने से लोग तबाही के शिकार हो जाते हैं, लेकिन इस डिवाइस से लोगों को पहले ही अलर्ट करके आपदाओं से बचाया जा सकता है। इस डिवाइस का सेंसर अलार्म हिमस्खलन, बादल फटने, बाढ़ जैसी आपदाओं से प्रशासन और लोगों को अलर्ट कर सकता है, जिससे उचित समय पर सुरक्षा के उपाय अपनाकर लोगों की जान बचाई जा सकती है। उन्होंने बताया कि अभी यह एक प्रोटोटाइप है और हम इसे भविष्य के लिए तैयार करने पर काम कर रहे हैं।