वरलक्ष्मी व्रत सावन के अंतिम शुक्रवार को मनाया जाता है। इस पावन पर्व पर व्रत रखा जाता है। इसके साथ ही लक्ष्मी जी की पूजा की जाती है। लक्ष्मी जी को धन की देवी भी कहा जाता है। इसलिए कहा जाता है कि लक्ष्मी जी की पूजा करने पर धन की वर्षा होती है। और जीवन में अनेकों प्रकार की खुशियां आती है। जिससे जीवन खुशहाल बन जाता है। मनुष्य के जीवन की सारी बुराइयां दूर हो जाती है और जीवन मंगलमय हो जाता है। कई बार हम ईश्वर की आराधना करते हैं लेकिन कई बार ऐसा भी होता है जब हमें निराशा हाथ लगती है। इसी निराशा के चलते मनुष्य के जीवन में बहुत सारी कठिनाइयां आने लगती है। और मनुष्य कठिनाइयों को अपने ऊपर हावी कर लेता है और बात पर ईश्वर को दोष देने लगता है। जबकि यह है मनुष्य के कर्मों का फल होता है जिसे वह अपने जीवन में रहकर भोगता है। जबकि वह सोचता है कि शायद ईश्वर उसकी सुनता नहीं है। परंतु इसका एक कारण बताया गया है यदि पूजा के दौरान गलतियां की जाए तो पूजा पूरी नहीं मानी जाती जिसके चलते मनुष्य कठिनाइयों का सामना करने लगता है। और उसके द्वारा मांगी गई मन्नत ही भी पूरी नहीं होती है। जिसके कारण वह निराश रहने लगता है और यही निराशा का कारण उसे ईश्वर से दूर कर देता है। धन की देवी लक्ष्मी जी को बहुत अधिक माना जाता है। साथ ही धन की देवी लक्ष्मी माता को बेहद चंचल और अस्थिर माना जाता है। कहा जाता है कि देवी को घर में रोके रखना या उनकी पूजा में कोई भूल या कोई गलती नहीं करनी चाहिए।
वरलक्ष्मी व्रत में देवी को नाराज़ न करें
घर में देवी की स्थापना के लिए भी कई तरीके बताए गए हैं स्थापना करते वक्त भी लोग गलतियां करते हैं जिनके कारण उनकी पूजा पूरी नहीं हो पाती। धन की देवी लक्ष्मी जी की पूजा के कुछ खास नियम होते हैं जिनको ध्यान में रखना जरूरी होता है। जिससे लक्ष्मी जी कभी नाराज ना हो अगर लक्ष्मी की आराधना ठीक प्रकार से की जाए तो निश्चित ही धन की वर्षा होने लगती है और जीवन खुशहाल होने लगता है। देवियों में लक्ष्मी माता को सबसे ऊपर माना जाता है जिसके कारण इनकी पूजा अधिक की जाती है। लक्ष्मी माता को धन की देवी के रूप में बुलाया जाता है।
देवी की प्रतिमा और पूजा के नियम-
- लक्ष्मी देवी की प्रतिमा यदि घर पर स्थापित करने जा रहे हैं तो याद रखा जाए उनकी प्रतिमा की ऊंचाई अंगूठे की ऊंचाई के जितनी ही हो इससे ज्यादा बड़ी प्रतिमा की पूजा करना और घर पर रखना उचित नहीं माना जाता है। यदि घर में बड़ी प्रतिमा स्थापित की जाती है तो उसके पूजा के नियम बदलने के नियम बदलने पड़ते है और अगर नियमों को तोड़ दिया जाए तो इससे प्रतिमा दोष लगता है। और पूजा अराधना भी नहीं मानी जाती है। जिसके चलते लोगों की मन्नतें भी पूरी नहीं होती है और उनके जीवन से खुशहाली चली जाती है क्योंकि उनके जीवन में दोष आ जाता है।
- माना जाता है देवी लक्ष्मी को जब भी घर पर स्थापित करें तो उनकी प्रतिमा के बायी और गणपति जी होने चाहिए और देवी जी की प्रतिमा हमेशा दाहिनी और होनी चाहिए ऐसा करने पर दोष नहीं लगता और पूजा आराधना में भी बल मिलता है और जीवन में खुशहाली आती है
- साथ ही यह भी माना जाता है कि घर में कभी भी देवी लक्ष्मी की प्रतिमा या तस्वीर को खड़ी करके स्थापित नहीं करना चाहिए ऐसी प्रतिमा या तस्वीर के बारे में कहा जाता है कि यह चलायन होती हैं और इसलिए देवी घर पर नहीं रुकती। इसलिए घर में देवी की बैठी मुद्रा वाली प्रतिमा या तस्वीर ही लगाएं इसे शुभ माना जाता है।
- देवी लक्ष्मी माता की तस्वीर को दीवार से सटाकर नहीं लगाना चाहिए अगर ऐसा किया जाता है तो यह सबसे गलत तरीका होता है। लक्ष्मी देवी की प्रतिमा को दीवार से कुछ दूरी बनाकर रखा जाए तो शुभ माना जाता है और यही सही तरीका होता है।
- देवी लक्ष्मी जिस प्रतिमा या तस्वीर में उल्लू पर सवार हो उसे घर में स्थापित नहीं करना चाहिए इससे धन में कमी आती है और यह अशुभ माना जाता है।
- देवी लक्ष्मी की पूजा कभी अकेले ना करें उनके साथ भगवान विष्णु की पूजा भी करें। इस प्रकार पूजा करने से पूजा सफल होती है और देवी खुश रहती है और जीवन में खुशहाली आती है।