चंपावतः उत्तराखंड अपने आप में कई राज और चमत्कार समेटे हुए देवभूमि के तौर पर जाना जाता है। ऐसी कई कहानी-किस्से आपको वहां सुनने को मिल जाएंगे जो आपको हैरान कर सकते हैं। इसी कड़ी में आज हम आपको एक ऐसे गांव के बारे में बताने जा रहे हैं। जहां इंसान नहीं बल्कि भूत रहते हैं।
एक समय था जब इस गांव में चहल-पहल रहती थी लेकिन अब यहां पर भूतों का बसेरा है। कुछ लोग तो इसे भूत वाला गांव भी कहते हैं। इस गांव में कुल आठ भूत हैं। जिसके कारण ये गांव भूतिया गांव के तौर पर भी जाना जाता है। कहते हैं कि गांव में जो भी बसने की कोशिश करता है। भूत उसे भगा देते हैं। जिसके कारण इस गांव में कोई भी इंसान रह नहीं पाता है।
हर कदम पर मंडराती है मौत
भूतों के इस गांव का नाम स्वाला है। उत्तराखंड के चंपावत जिले में स्थित है ये गांव। यहां भूलकर भी कोई इंसान अपना कदम नहीं रखता है, क्योंकि इस गांव में हर कदम पर मौत आपका इंतजार कर रही है। किसी समय इस गांव में चहल-पहल रहती थी। इंसान रहते थे, गांव में बजारे लगती थीं। लेकिन अब यह गांव वीरान पड़ गया है। स्वाला गांव के लोगों ने इस गांव का नाम बदलकर भूत गांव कर दिया है।
सेना से जुड़ी है कहानी
कहा जाता है कि आज से 63 साल पहले आठवीं बटालियन की बीएससी की एक गाड़ी गिरने के बाद सब वीरान हो गया। इस गांव के कोसों दूर तक कोई इंसानी गांव नहीं बसा है। यहां की जमीन ही ऐसी है कि यहां से गुजरने वालों को इनके मंदिर में रुक कर ही आगे जाना होता है।
ये है कहानी
कहते हैं साल 1952 में एक एक्सीडेंट हुआ था। जिसके बाद सब बदल गया। एक बार यहां से सेना के जवानों की गाड़ी गुजर रही थी। तभी जवानों की एक गाड़ी खाई में गिर गई। उस गाड़ी में 8 जवान सवार थे। कहा जाता है कि खाई में गिरे जवानों ने गांव वालों से मदद भी मांगी थी। मगर गांव वालों ने उनकी मदद नहीं की। गांव वाले उन्हें बचाने की जगह उनका सामान लूटने में लगे। किसी ने भी आगे बढ़कर उनकी मदद नहीं की।
ऐसा भी कुछ लोगों का कहना है कि अगर उस समय गांव वालों ने उनकी मदद की होती तो शायद उनमें से कुछ जवान जिंदा बच जाते।
तो… इसलिए वीरान हो गया गांव
बस यहीं से गांव के वीरान होने की कहानी शुरू होती है। आसपास के रहने वाले लोगों का मानना है कि इस हादसे के बाद से ही यहां उन 8 जवानों की आत्माएं भटकती हैं। उस गांव में निवास करती हैं। उस गांव पर कब्जा जमाए हुए हैं। धीरे-धीरे आत्माओं ने गांव वालों के लोगों को परेशान करना शुरू कर दिया। जिसके नतीजा यह हुआ कि उन्हें अपना गांव छोड़कर दूसरी जगह शरण लेनी पड़ी। तब से आज तक उस गांव में दोबारा कोई बस नहीं पाया है। डर के चलते स्वाला गांव के लोग इस गांव को छोड़ कर चले गए। आसपास के लोग आज भी इसे भुतहा गांव के नाम से जानते हैं।
मंदिर में पूजा के बाद ही गांव पार कर सकते हैं
जिस जगह पर पीएसी जवानों की गाड़ी गिरी थी। वहां इन जवानों की आत्मा की शांति के लिए नव दुर्गा देवी की का मंदिर स्थापित किया गया है। जहां पर हर जाने आने वालों को गाड़ी रोकनी पड़ती है। उत्तराखंड की सबसे डरावनी जगह में से एक है। यहां कईबार लोगों को चीखे सुनाई देती है और कई बार तो उन लोगों को आत्माएं भी दिखाई जाने की बात कही गई हैं।