देहरादून। उत्तराखंड के धार्मिक व पर्यटन स्थल देश दुनिया के लोगो की बड़ी संख्या में अपनी ओर आकर्षित करते है। पर्यटन क्षेत्र में होने वाली दुर्घटनाओं, आपदा व स्वास्थ्य संबंधी परेशानियो के कारण कभी-2 पर्यटकों की मौत हो जाती है। ऐसे में मृतक के परिजनों को शवों को अपने गृह ले जानें के लिए कई औपचारिकताओं को पूरा करना पड़ता है।
गौरतलब है कि उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने पर्यटकों की म़ृत्यु हो जाने की स्थिति में परिजनों को आसानी से शवों को गृह ले जा सकें। शवों को ले जानें में होने वाली कठिनाइयों को ध्यान में रखते हुए कुछ नियम बनाए हैं। जिनके तहत शवों को ले जाने के लिए अपेक्षाकृत परिजनों को सुविधा होगी।मृतक के परिजनों को सुनिश्चत करना होग कि यात्रा के दौरान मृतक के पास मृतक से संबंधित नीचे बताए गए अभिलेख है या नही हैं।
1.पंचनाम आख्या
2.मृत्यू प्रमाण पत्र /शव परिक्षण आख्या
3.पत्र व्यवहार का पता
4.फोटोयुक्त पहचानपत्र
गौरतलब है कि शव को ले जाने से पहले शव में “संलेपन” जरूरी है। आपको बता दें कि यह दवा है जो शव को खराब होने से बचाती है।बताते चलें कि उत्तराखंड में 06 चिकित्सालयों में संलेपन की प्रक्रिया की जाती है।
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान श्रृषिकेश, राजकीय दून मेडिकल कॉलेज देहरादून,राजकीय मेडिकल कॉलेज हल्द्वानी,वीर चंद सिंह गढ़वाली राजकीय आयुर्विज्ञान शोध संस्थान श्रीनगर,स्वामी राना हिमालयन विश्वविद्यालय डोईवाला।श्रीदेव सुमन शुभारती मेडीकल देहरादूनउक्त चिक्त्सालयों में विशेष अधिकारी को जिम्मेदारी सौपी गई है।
संबंधित जिला प्रशासन विमान पत्तन प्राधिकारियों के साथ पुलिस सर्किल ऑफिसर को अधिकारिक रूप से नामित करेंगे।मृतक के परिजन या संबंधी नामित पुलिस सर्किल अधिकारी के माध्यटम चिकित्सालय के संलेपन नोडल अधिकारी से अग्रिम रूप में मिलकर सुनिश्चत करेंगे। शव को सुरक्षित ले जाने हेतु भारतीय विमान पत्तन के एयरपोर्ट टर्मिनल मेनेजर नोडल अधिकारी होंगे। अधिकारियों से संपर्क करने के लिए विशेष टोलफ्र नंबर दिए गए है.।
शव के संलेपन के बाद नोडल अधिरकारी किसी करीबी रिश्तेदार को शव सौंपेगा। गौरतलब है कि उत्तराखंड जाने बाले पर्यटकों को मृत्यू जैसी अप्रय घटना के बाद शव को अपने गृह ले जाने के लिए मृतक के परिजनों को कई औपचारिकताए पूरी करनी पड़ती थीं। लेकिन आपदा प्रबंधन की इस पहल से लोगो को अपेक्षाकृत कम परेशानी होगी।