बुधवार को केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग एवं जल शक्ति राज्यमंत्री प्रहलाद सिंह पटेल बटियागढ़ तहसील के ग्राम मगरौन स्थित जरारूधाम में आयोजित राष्ट्रीय युवा दिवस के अवसर पर “स्वच्छता एवं जल साक्षरता” विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला में पहुंचे।
‘भारत को विश्वगुरु बनाने के लिए कंधे मजबूत करें नौजवान’
बुधवार को केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग एवं जल शक्ति राज्यमंत्री प्रहलाद सिंह पटेल बटियागढ़ तहसील के ग्राम मगरौन स्थित जरारूधाम में आयोजित राष्ट्रीय युवा दिवस के अवसर पर “स्वच्छता एवं जल साक्षरता” विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला में पहुंचे। इस अवसर पर जलपुरूष और रमन मेग्सेसे पुरूस्कार से सम्मानित डॉ. राजेन्द्र सिंह का शाल और स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मान किया। जल शक्ति मंत्रालय भारत सरकार द्वारा अतिथियों को मूमेंटो भेंट किये गये।
इस दौरान केंद्रीय राज्यमंत्री प्रहलाद पटेल ने कहा कि जो लोग 20 और 22 साल के हैं उनको लंबा जीवन भविष्य में गुजारना है। आज का दिन सार्थक होगा विवेकानंद जी को सच्ची श्रद्धांजलि यही होगी कि हमारे नवजवानों का शरीर और कंधे इतने मजबूत हो कि भारत माता की गुलामी की जंजीरों को भी काटे और एक दिन भारत को विश्व गुरु बना कर दुनिया के सामने प्रस्तुत करें।
केन्द्रीय राज्यमंत्री ने कहा कि आज के दिन हम राजेंद्र सिंह के साथ बैठकर विचार विमर्श में शामिल हो रहे हैं और जो नौजवान यहां से जाएगा जीवन के रास्ते में भटकाव से दूर रहेगा। उन्होंने कहा प्रधानमंत्री ने कहा यह सफलता नहीं है, यह एक पड़ाव है एक सीढ़ी है अभी इसके आगे चलना बाकी है और जो बातें मनु मिश्रा, टंडन जी एवं धर्मेंद्र सिह लोधी ने कही, पानी घर तक पहुंचेगा लेकिन जब पाइप फट जाएगा टोटी टूट जाएगी तो कौन लगाएगा, बिजली का बिल कौन देगा इसलिए पानी समितियां बनाई है। भारत सरकार ने 50 फीसदी माताओं बहनों की हिस्सेदारी इसमें की है। पानी समितियां ही नल जल योजना का संचालन करेंगे और गुणवत्ता की जब बात आती है तो टेस्टिंग के लिए भी 5 माताओं बहनों को चुना गया है।
उन्होंने कहा अगर जल के साथ मर्यादा का पालन नहीं करोगे तो पाषाण का होना तय है। इस कहानी का अर्थ यह है। हर स्रोत की मर्यादा है, क्या उन स्रोतों की हम चिंता करते हैं। वह कुएं बावड़ी, तालाब, सरोवर, नदी एवं नाले यह छोटी चीजें हैं लेकिन इन्हीं सब की मर्यादा हैं। हम जब पहाड़ पर जाकर देखते हैं तो लोग चश्मे से पानी पीते हैं लेकिन उत्तर पूर्व में एक बड़ी चुनौती सामने आई है, यह चश्मे खत्म हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि मैं खुद नागालैंड जाने वाला हूं, जहां चश्मे से पानी पीने वाला वर्ग में अब त्राहि-त्राहि मच रही है। क्योंकि उन्होने उस जगह पर मोटर लगा दी है। उनके पूर्वज नालिया बनाकर चश्मे के पानी को नीचे लाते थे और बाकी परिवार उस पानी को लेकर चला जाता था। लेकिन तकदीर का हंकार देखिए मोटर लगाई तो चश्मा समाप्त हो गया और पूरा गांव समाज एक एक बूंद पानी को तरसने लगा है, यह जो मर्यादाओं का उल्लंघन है। उन्होंने यक्ष की कहानी पर भी विस्तार से जानकारी देते हुये कहा सिर्फ शिक्षा जरूरी नहीं है ज्ञान भी जरूरी है।