देहरादून। माकपा राज्य कमेटी उत्तराखंड ने नोटबंदी और जीएसटी के बाद मोदी सरकार के जनविरोधी बजट की घोर निंदा करते हुए कहा कि राज्य भर में आंदोलन चलाकर केन्द्र सरकार के कथनी और करनी में फर्क के बारे में लोगों को बताया जाएगा। माकपा के प्रदेश सचिव राजेन्द्र सिंह नेगी ने रविवार को जारी बयान में कहा कि नोटबंदी और जीएसटी के बाद यह बजट जन-साधारण के जीवनयापन पर एक और हमला है। इस मुद्दे पर जनता को लामबंद कर सीपीआई(एम) आन्दोलन को तेज़ करेगी। इसी के तहत 9 फरबरी को इस जनविरोधी बजट के खिलाफ प्रदेश के सभी जिला मुख्यालयों पर धरना प्रदर्शन कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा।

बता दें कि नेगी ने कहा कि आगामी आम चुनाव से पहले मोदी सरकार के इस अंतिम पूर्ण बजट में देशी-विदेशी पूंजी का हित साफ़ तौर पर झलक रहा है। साथ ही यह बजट देश के मेहनतकश जनता के बड़े हिस्से पर मुसीबतों का पहाड़ टूटने जैसा है। उसके बावजूद इस बजट को खूब बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया जा रहा है। कम्युनिस्ट पार्टी ने केंद्र सरकार द्वारा पेश किए गए बजट को घोर जनविरोधी बताते हुए कहा कि भाजपा सरकार द्वारा चुनावी वादे की तरह यह बजट जुमलेबाज है। बजट में जनता को राहत देने वाला कोई कदम नहीं है बल्कि यह बड़े पूंजीपतियों को फ़ायदा पहुंचाने वाला बजट है। सरकार के इस बजट ने देश के सभी वर्गों को निराश किया है।
साथ ही सरकारी खर्चे में कटौती के कारण रोजगार की संभावनाओं एवं सामजिक कल्याण की योजनाओं में भारी कमी का सीधा असर आम जनता के जीवन-यापन पर पड़ेगा। इसी तरह खेती के लिए दिए जाने वाले कर्ज की घोषणा के लिए बजट में रकम निर्धारित एवं सुनिश्चित नहीं की गई है। किसानों पर लगातार खेती के संकट के कारण आत्महत्या की घटनाओं के बाद भी क़र्ज़ माफी का बजट में जिक्र तक नहीं किया गया है। माकपा का कहना है कि कुल मिलाकर मोदी सरकार का यह बजट जुमलेबाजी के जरिये जनता को बेवक़ूफ़ बनाने वाला है।
वहीं सार्वजनिक क्षेत्र को बेचकर अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय पूंजी को खुश करने की इस बजट नीति का दुष्परिणाम आम जनता के ऊपर आएगा। जिसको सीपीआई(एम) कत्तई बर्दाश्त नहीं करेगी। इस बजट में स्थायी रोजगार को बढ़ावा देने के बजाय ठेका प्रथा को बढ़ावा दिया गया है तथा देश में लाखों-लाख योजनाकर्मी (आगनबाड़ी, भोजनामाता, आशा व अन्य योजनाकर्मियों) को लेकर बजट में कोई संख्या बढ़ोतरी नहीं की गई है बल्कि इनके बजट में कटौती का काम किया गया है।