निज़ामुद्दीन शेख़, संवाददाता
रूस और यूक्रेन की जंग पिछले 11 दिनों से लगातार जारी है। ऐसे में यूक्रेन में हालात काफी खतरनाक बने हुए हैं। वहीं भारत सरकार की ओर से लगातार यूक्रेन में फंसे भारतीयों को निकाला जा रहा है। अब तक कई भारतीयों की घर वापसी हो चुकी है। इनमें से एक खटीमा की बेटी मिताली बिष्ट भी हैं। जो सकुशल अपने घर लौट चुकी हैं।
यूक्रेन से लौटी छात्रा ने सुनाई आपबीती
रूस और यूक्रेन की जंग पिछले 11 दिनों से लगातार जारी है। ऐसे में यूक्रेन में हालात काफी खतरनाक बने हुए हैं। वहीं भारत सरकार की ओर से लगातार यूक्रेन में फंसे भारतीयों को निकाला जा रहा है। अब तक कई भारतीयों की घर वापसी हो चुकी है। इनमें से एक खटीमा की बेटी मिताली बिष्ट भी हैं। जो सकुशल अपने घर लौट चुकी हैं। मिताली के खटीमा पहुंचने पर उनके परिजनों और स्थानीय लोगों ने भव्य स्वागत और अभिनंदन किया। परिजनों ने मिताली का माल्यार्पण किया और केक काटकर जश्न मनाया। वहीं मिताली ने यूक्रेन में भय और दहशत के माहौल में बिताए एक सप्ताह की यात्रा पर अपनी आपबीती सुनाई।
मिताली ने मीडिया से रूबरू होते हुए यूक्रेन में युद्ध के हालातों के बीच एक सप्ताह के दौरान भय व दहशत के माहौल की आपबीती सुनाई। मिताली ने मीडिया को बताया कि यूक्रेन के बोलटावा शहर में वह फर्स्ट ईयर मेडिकल की पढ़ाई कर रही थी। अचानक रूस की ओर से युद्ध छेड़े जाने के बाद उनके हॉस्टल के ऊपर उड़ते फाइटर जेट विमानों की गड़गड़ाहट से सभी छात्र दहशत में आ गए थे। किसी तरह बंकस में छुपकर उन सभी लोगों ने अपनी जान बचाई।
मिताली ने बताया कि यूक्रेन के बोल तावा शहर से हंगरी बॉर्डर तक 3 दिन का सफर बस व ट्रेन के माध्यम से उन्होंने तय किया। सभी भारतीय छात्र 3 दिन तक अपनी जान हथेली पर लेकर बॉर्डर तक का सफर कर आज सकुशल अपने घर पहुंच पाए हैं। फाइनली सकुशल घर पहुंच कर उन्हें अब बेहद रिलैक्स फील हो रहा है। जिसके लिए वह सरकार का भी धन्यवाद करते हैं।
भारतीय दूतावास से मिले सहयोग के बारे में पूछने पर मिताली में बताया कि उन लोगों का भारतीय दूतावास के अधिकारियों से शुरुआत से ही कोई भी संपर्क नहीं हो पाया। यूक्रेन के बोलटावा शहर से हंगरी बॉर्डर तक पहुंचने में भारत सरकार द्वारा उनको कोई भी मदद नहीं मिली। सभी छात्रों ने अपने रिस्क पर 3 दिन का सफर हंगरी बॉर्डर तक बेहद दहशत के माहौल में तय किया। हालाकि हंगरी बॉर्डर पहुंचने पर जरूर भारत सरकार द्वारा उन्हें भोजन और अन्य सुविधाएं मुहैया कराई गई। वहीं मिताली ने भारत सरकार से अपील की है कि यूक्रेन के खारकीव और कीव इलाकों मे अभी भी फंसे हुए भारतीय मेडिकल छात्रों को सरकार जल्द से जल्द वहां से सुरक्षित निकालने का काम करें। क्योंकि वर्तमान में सभी छात्र बेहद कठिन व खतरे भरे माहौल में वहा पर फंसे हुए हैं।