उत्तराखंड

स्वामी विवेकानंद जी को काकड़ीघाट से हुई ज्ञान की प्राप्ति, पीपल के पेड़ को नाम दिया ज्ञान वृक्ष

Screenshot 2116 स्वामी विवेकानंद जी को काकड़ीघाट से हुई ज्ञान की प्राप्ति, पीपल के पेड़ को नाम दिया ज्ञान वृक्ष

 

गोपाल सिंह बिष्ट, संवाददाता

उत्तराखंड को यूं ही नहीं देवभूमि कहा जाता है। उत्तराखण्ड बड़े – बड़े ऋषि मुनियों व सिद्ध महात्माओं की तप स्थली रही है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले के पवित्र स्थान काकड़ीघाट के बारे में।

 

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जहां स्वामी विवेकानन्द जी को ज्ञान प्राप्त हुआ। कोसी नदी और सील नदी के संगम पर बसा यह पवित्र स्थल अनेक सिद्ध योगियों और महापुरुषों की तपस्थली रहा है। यहां पीपल वृक्ष के नीचे स्वामी विवेकानंद जी को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। जिसके बाद यह स्थान ज्ञान स्थली के नाम से जाना जाने लगा। यहां पर प्राचीन शिव मंदिर भी स्थित है जहां पर श्रावण मास में भक्तों का तांता लगा रहता है।

Screenshot 2114 स्वामी विवेकानंद जी को काकड़ीघाट से हुई ज्ञान की प्राप्ति, पीपल के पेड़ को नाम दिया ज्ञान वृक्ष Screenshot 2115 स्वामी विवेकानंद जी को काकड़ीघाट से हुई ज्ञान की प्राप्ति, पीपल के पेड़ को नाम दिया ज्ञान वृक्ष Screenshot 2116 स्वामी विवेकानंद जी को काकड़ीघाट से हुई ज्ञान की प्राप्ति, पीपल के पेड़ को नाम दिया ज्ञान वृक्ष

स्वामी विवेकानंद समिति के अध्यक्ष हरीश परिहार ने बताया कि अगस्त 1890 में स्वामी विवेकानंद जी अपने गुरुभाई अखंडानंद के साथ पैदल हिमालय की कठिन यात्रा पर जा रहे थे तो कोसी नदी व सील नदी के संगम पर काकड़ीघाट नामक स्थान पर पीपल वृक्ष के नीचे बैठ गए और ध्यान मग्न हो गए। लगभग एक घंटे बाद अखंडानन्द से कहा इस पेड़ के नीचे एक बड़ी समस्या का समाधान हो गया है। मुझे अणु ब्रह्माण्ड और विश्व ब्रह्माण्ड की अनुभूति हुई है। आज यहां पर स्वामी विवेकानंद जी के नाम से ध्यान केंद्र भी बनाया गया है। देशी व विदेशी पर्यटक यहां आकर ध्यान करते हैं। साथ ही समिति के अध्यक्ष ने बताया कि 2015 में विशालकाय पीपल वृक्ष के सूखने के बाद पंतनगर यूनिवर्सिटी में इस पीपल वृक्ष की क्लोनिंग तैयार की गई और यहां पर दुबारा से लगाया गया। समिति की ओर से कुछ विद्यालयों को निःशुल्क पुस्तकें, कपड़े इत्यादि मुफ्त में दिए जाते हैं।

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