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उत्तराखंडःअपने अस्तित्व के लिए जूझ रहा है भगवान शिव का प्रिय ब्रह्म कमल

03 87 उत्तराखंडःअपने अस्तित्व के लिए जूझ रहा है भगवान शिव का प्रिय ब्रह्म कमल

देवभूमि उत्तराखंड की भूमि अपने गर्भ में कई रहस्य छिपाए हुए है।लेकिन बीते सालों में इन रहस्यों की देख-रेख सही से ना हो पाने के चलते कई रहस्य अब अपने अस्तित्व के लिए जूझ रहे हैं।सूबे में प्रदेश पुष्प का दर्जा प्राप्त ब्रह्म कमल भी इन्हीं में से एक है।पिछले चार-पांच सालों से तेजी से इसका दोहन किया जा रहा है। लेकिन न स्थानीय प्रशासन का ध्यान इस ओर है और न हमारी सरकारें इस ओर संजीदा नजर आ रही हैं। ऐसे में यह पुष्प विलुप्ती की ओर जा रहा है।

 

03 87 उत्तराखंडःअपने अस्तित्व के लिए जूझ रहा है भगवान शिव का प्रिय ब्रह्म कमल

भगवान शंकर को ब्रह्म कमल का पुष्प बेहद ही प्रिय है

मान्यता है कि भगवान शंकर को ब्रह्म कमल का पुष्प बेहद ही प्रिय है।लेकिन लगातार संरक्षण के आभाव में अब ब्रह्म कमल विलुप्त होने के कगार  पर जा पहुंचा है। उससे आने वाले समय में राज्य पुष्प विलुप्त हो जायेगा।जहां एक ओर सेंचुरी एरिया में काश्तकारी पर पूर्ण प्रतिबंध लगा हुआ है।वहीं उच्च हिमालय क्षेत्रों में भेड़ पालकों के द्वारा खुले आम चारागाह बनाया गया है। जिससे उच्च हिमालयी क्षेत्र में होने वाली विभिन्न वनस्पातिक प्रजातियां नष्ट हो रही हैं।इन्हीं में से एक है ब्रह्म कमल।

सैन्य अधिकारी देने में देवभूमि उत्तराखंड सबसे आगे

ब्रह्म कमल अनेक रोगों की दवा है वहीं यह खाने में अत्यधिक स्वादिष्ट भी होता है

ब्रह्म कमल जहां जानवरों में होने वाले अनेक रोगों की दवा है वहीं यह खाने में अत्यधिक स्वादिष्ट भी होता है जिस कारण यह जानवरों का प्रिय भोजन हैं।वहीं दूसरी ओर केदारनाथ, तुगनाथ, मद्दमहेश्वर, श्री बदरीनाथ  जैसे उच्च हिमालयी धामों में तीर्थ पुरोहितों द्वारा देश-विदेश के अपने यजमानों को प्रसाद के रूप में ब्रह्म कमल को बाहरी राज्यों में भेजा जाता है।जिसके एवज में तीर्थ पुरोहितों को लाखों रूपये का मुनाफा हो रहा है।पिछले कुछ सालों से बड़ी मात्रा में यह कार्य किया जा रहा है।जिस कारण यह पुष्प समाप्त होने के कगार पर पहुंच चुका है।

केदारनाथ धाम के आस-पास आसानी से दिखाई देने वाला ब्रह्म कमल अब दूर-दूर तक भी नहीं दिखता

आठ से दस साल पहले केदारनाथ धाम के आस-पास आसानी से दिखाई देने वाला ब्रह्म कमल अब दूर-दूर तक भी नहीं दिखता है।हालांकि केदारनाथ पुलिस ने जरूर एक आशा जगाने वाला कदम उठाया है। पिछले तीन सालों से ब्रह्म कमल को संरक्षण के उद्देश्य से केदारनाथ धाम में ब्रह्म वाटिका बनाकर देश विदेश से आने वाले तीर्थ यात्रियों को अपनी ओर आकर्षित कर रही है।वहीं उच्च हिमालयी क्षेत्रों में लगातार मानवीय गतिविधियों के कारण ब्रह्म कमल के अस्तित्व खतरे में पड़ता जा रहा है।लेकिन न वन विभाग और जिला प्रशासन का इस ओर ध्यान है और न हमारी सरकारें इस पर कोई नीति नियंत्रण बना पा रही है।

राज्य के उच्च इलाकों में खेलने वाला ब्रह्म कमल संकट में है

राज्य सरकार के वन मंत्री हरक सिंह रावत का कहना है कि यह बेहद चिंता का विषय है कि राज्य के उच्च इलाकों में खेलने वाला ब्रह्म कमल संकट में है।इसका सबसे बड़ा कारण ग्लोबल वार्मिंग है। उन्होंने कहा कि पिछले दिनों इस तरह की रिपोर्ट भी आई है कि लगातार उत्तराखंड के उच्च हिमालय में मौसम बदल रहा है। लिहाजा हम ब्रह्मकमल के संरक्षण और संवर्धन के लिए प्रयास कर रहे हैं।भले ही सरकारें राष्ट्रीय धरोहरों को संरक्षण करने का लाख दाव करती हो लेकिन ब्रह्म कमल जैसे राज्य पुष्प का जिस प्रकार से आये दिन दोहन किया जा रहा है। उससे कहीं ना कही इस वनस्पति प्रजाति का नष्ट होना सरकार की संरक्षण नीति पर ही सवाल खड़े करती है।

Piyush Shukla उत्तराखंडःअपने अस्तित्व के लिए जूझ रहा है भगवान शिव का प्रिय ब्रह्म कमल

अजस्र पीयूष

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