उत्तराखंडः प्रदेश में अब सफर करना महंगा हो गया है।
जिससे लोगों को आर्थिक
बोझ का सामना करना पड़ेगा।
सरकार के राज्य परिवहन प्राधिकरण ने निजी यात्रावाहन और माल भाड़ा का किराया,
17 प्रतिशत प्रतिवर्ष बढ़ाने का फैसला लिया है।
इस फैसले से कहीं खुशी तो कहीं गम का माहौल है।
राजधानी लखनऊ में परिवहन विकास परिषद का सम्मेलन शुक्रवार को होगा
अल्मोड़ा जनपद मे कुमाऊ मोटर्स
सैकड़ों बस तथा टैक्सियों का संचालन कर रहे लोगों का कहना है कि सरकार का यह
फैसला स्वागत योग्य है।
लेकिन निजी वाहनों की यात्रा का किराया वृद्धि रोडवेज के
समान होना चाहिए।
वहीं आम जनता का कहना है कि सरकार का किराया वृद्धि का यह
निर्णय जनविरोधी है।
कमल जोशी निदेशक केएमयू ने बताया कि सरकार का फैसला स्वागत योग्य है।
लेकिन सरकार को रोडवेज के और निजी वाहनों के किराया में वृद्धि को समकक्ष करना चाहिए।
साथ ही उन्होंने कहा कि मुझे नहीं लगता कि सरकार की इस किराया बढ़ोत्तरी से निजी वहनो की स्थिति में कोई खास अंतर आएगा।
क्योंकि पहले से ही निजी वाहनों के किराए की दरें न्यूनतम है। जोशी ने कहा कि 17 प्रतिशत किराया वृद्धि पर्याप्त नहीं है।
स्थानीय नागरिक पूरन रौतला का मानना है कि सरकार का किराया वृद्धि का फैसला जनविरोधी है।
सरकार बढ़ती मंहगाई के लिए को कदम नहीं उठा रही है।
उन्होंने नोटबंदी का जिक्र करते हुए कहा कि पहले से यहां के लेग मंहगाई से परेशान हैं।
हर रोज डीजल-पेट्रोल की बढ़ती कीमतों से जनता की आर्थिक स्थिति चरमरा गई है।
पूरन ने कहा कि ऐसे में प्रदेश सरकार ने सफर का किराया बढ़ाकर आम लोगों के सामने आर्थिक संकट खड़ा कर दिया है।
पूरन ने कहा कि सरकार को माल भाड़ा और यात्री किराया कम करना चाहिए।
सरकार का किराया वृद्धी का निर्णय पूरी तरह जनविरोधी है।
निर्मल उप्रती