देहरादून। देश की सभी राज्य सरकारों को जनता के कल्याण के लिए योजनाओं को लागू करना होता है, जिसके लिए वस्तू एवं सेवाओं के क्रय की आवश्यकता होती है। इसी को ध्यान में रखते हुए त्रिवेंद्र सरकार ने बाजार की प्रकृति एवं तकनीकी विकास के लिए पूर्व की राज्य सरकार द्वारा बनाई गई अधिप्राप्ति नियमावली 2008 में संसोधन करते हुए नई अधिप्राप्ति नियमावली 2017 का गठन किया है। इसके तहत वस्तूओं और सेवाओं के क्रय के लिए जैम पोर्टल बनाया गया है, जोकि ई-मार्केट के रूप में कार्य करेगा। भारत सरकार की डिजिटल इंडिया अभियान के अन्तर्गत सरकारी मंत्रालयों, पीएसयू, स्वायत्त निकायों आदि में समान और सेवाओं की खरीद में पारदर्शिता, प्रतिस्पर्धा और निष्पक्षता सुनिश्चित करके लिए रावत सरकार ने जैम ई- मार्केट की शुरुआत की है।
आपको बता दें कि अभी तक सरकारी विभागों में परम्परागत निविदा पर आधारित क्रय प्रणाली से की जाती है। इस प्रणाली में काफी जटिलताओं के चलते वस्तुओं और सेवाओं के क्रय में समय और संसाधन ज्यादा से ज्यादा लगता है। इसके अलावा इसमें विक्लप भी काफी कम हैं, जिसका सामना सीधे तौर पर विभागों को करना पड़ता है। यहीं नहीं इसमे वस्तुओं और सेवाओं की गुणवत्ता प्रभावित होने की संभावना बनी रहती है और इसमें पारदर्शिता की कमी एक बहुत बड़ी समस्या है। वहीं अगर देखा जाए तो इस सिस्टम के चलते भ्रष्टचार होना भी कोई बड़ी बात नहीं होती। इससे अनवांछित वादों की संभावना भी बढ़ती है, जिससे क्रय प्रक्रिया लंबी खिंचती चली जाती है। ऐसे में सरकार द्वारा लोक कल्याणकारी स्वरूप और भ्रष्टाचार के सम्बंध में जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाए जाने की दृष्टिगत ऐसी प्रणाली को अपनाया जाना अपरिहार्य हो जाता है, जिससे पारदर्शिता पूर्ण रूप से विद्यमान होगी।
वहीं जैम की बात करें तो ये सरकार की उपर्युक्त अपेक्षा को पूरा करने की क्षमता रखता है, जिसमें वस्तुओं और सेवाओं की खरीद पोर्टल पर अलग-अलग आपूर्तिकर्ताओं से प्रतिस्पर्धात्मक द्वारा प्रस्तुत विकल्पों पर आधारित होने से पारदर्शिता पूरी तरह से विद्यमान होने की संभावना रहती है। जैम के आने से सरकार के समय और संसाधन की बचत के साथ-साथ व्यापक, सामाजिक और जनहित किया जाना भी संभव हो सकता है। इन्ही सबको देखते हुए त्रिवेंद्र सरकार ने अधिप्राप्ति नियमावली 2017 में वस्तुओं और सेवाओं के क्रय के लिए जैम के उपयोग को नए तरीके से व्यवस्थित किया है, लेकिन इस व्यवस्था के क्रियान्वयन के लिए वाणिज्य विभाग, वाण्जिय एवं उद्योग मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा विकसित जैम के उपयेग से संबंधित विभाग और राज्य सरकार के बीच में अभी मध्य समझौता होना बाकी है।