उत्तराखंड में मुख्यमंत्री पद के लिए एक बार फिर से भाजपा ने पुष्कर सिंह धामी पर भरोसा जताया है। ऐसे में जानकारों की माने तो विधानसभा चुनाव में हार के बाद धामी के लिए क्षेत्र में अपनी विश्वसनीयता को दोबारा तैयार करना सबसे अहम काम होगा। बता दे राज्य के सबसे युवा मुख्यमंत्री रहे पुष्कर सिंह धामी को खटीमा सीट से कांग्रेस के भुवन कापड़ी ने 6579 वोटों से हराया था। हालांकि इससे पहले भाजपा उम्मीदवार ने इस सीट से लगातार दो बार जीत दर्ज की है।
हालांकि महल 4 महीने के भीतर राज्य में तीन बार मुख्यमंत्री बदले गए ऐसे में कोरोना महामारी के बीच धामी सरकार के प्रति लोगों ने भरोसा हासिल किया. वहीं भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी मनवीर सिंह चौहान बताते हैं कि करीब आधा दर्जन विधायकों ने धामी के लिए अपनी सीट छोड़ने की पेशकश की है इनमें से अधिकांश कुमाऊं क्षेत्र से विधायक हैं उन्होंने कहा है कि पुष्कर सिंह धामी को यह सुनिश्चित करना है कि वह कौन सी विधानसभा के सदस्य बनने के लिए उप चुनाव जीतेंगे। ताकि वह मुख्यमंत्री पद पर बने रहे।
राजनीतिक जानकारों के मुताबिक खटीमा सीट, जहां से लगातार दो बार जीतने वाले पुष्कर सिंह धामी को चुनाव में हार के बाद एक बार फिर से अपनी विश्वसनीयता को तैयार करना पड़ेगा।
वही उनके गृह जिले उधम सिंह नगर में भाजपा की सीटें 8 से 4 पर पहुंच गई हैं। जो एक चिंता का विषय है। ऐसे में जानकारों का कहना है कि अगले 5 सालों में सीएम पुष्कर धामी को अपने गृह जिले में पार्टी की स्थिति को मजबूत करना होगा ताकि इस चुनाव में हुए नुकसान को दोबारा न झेलना पड़े।
वही गढ़वाल यूनिवर्सिटी के एक प्रोफेसर ने कहा है कि सीएम धामी को चुनाव से पहले अपने 6 महीने के कार्यकाल के दौरान उन मुद्दों का परिणाम भरना पड़ा है जो बीते साढ़े 4 साल में राज्य पर हावी रहे थे। पदभार संभालने के बाद दो पूर्व मुख्यमंत्री की तरफ से की गई गड़बड़ियों को सही करने और सरकार की स्थिति को बेहतर करने में सीएम धामी ने काफी काम किया है। लेकिन इसका खामियाजा धामी को ही भुगतना पड़ा।
सीएम धामी के सामने क्या होंगे मुद्दे
बेरोजगारी पहाड़ी प्रभाव खराब कनेक्टिविटी और राज्य के कई हिस्सों में ना काफी स्वास्थ्य व्यवस्था को मजबूत करना सीएम धामी के लिए सबसे बड़ी चुनौती होगी। इसके अलावा उन्हें खासतौर पर पर्यटन पर रिवर राज्य की अर्थव्यवस्था को दोबारा मजबूत करना होगा जो बीते 2 साल से कोरोना महामारी की वजह से प्रभावित है।
सीएम धामी के सामने यह भी चुनौती होगी कि वह घोषणा पत्र में किए गए बातों को कैसे पूरा करेंगे।
बता दे उत्तराखंड भाजपा के मेनिफेस्टो में खास तौर पर प्रशिक्षित बेरोजगारों को ₹3000 प्रति महीना और ₹6000 पेंशन व असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले मजदूरों को ₹5 लाख का बीमा, गरीबी रेखा से नीचे आने वाले परिवारों को तीन मुफ्त एलपीजी सिलेंडर, किसानों को किसान सम्मान निधि योजना के तहत अतिरिक्त ₹2000 मुहैया कराना शामिल है।
क्या लावा मतदान से 2 दिन पहले राज्य में यूनिवर्सिटी सिविल कोर्ट नियम लागू करने की घोषणा की गई थी ऐसे में जिस राज्य में 13.9 फ़ीसदी की आबादी मुस्लिम है वहां यह काम करना बेहद चुनौतीपूर्ण होने वाला है।
सबसे अहम बात यह है कि राज्य का शीर्ष पर संभालने वाले पुष्कर सिंह धामी अभी किसी मंत्री पद पर नहीं है।