उत्तराखंड: उत्तराखंड के चमोली में आई प्राकृतिक आपदा के पीड़ितों को बचाने और उनकी सुरक्षा के लिए हर संभव प्रयास जारी है। स्थानीय प्रशासन, एनडीआरएफ और एसडीआरफ की टीमें लगातार राहत-बचाव कार्य में लगी हुई हैं। वहीं, मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने हालातों का जायजा लेते हुए फिर से अधिकारियों को उचित व्यवस्था कराने के निर्देश दिए हैं।
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उत्तराखंड सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने प्रशासनिक अधिकारियों को आपदाग्रस्त क्षेत्रों में उचित व्यवस्था करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही उन्होंने पीड़ितों की सुरक्षा और उनके परिजनों का भी विशेष ध्यान रखने को कहा है। इससे पहले उन्होंने आपदा प्रभावित सीमांत गांवों का दौरा करते हुए ग्रामीणों को हर संभव मदद करने का भरोसा दिलाया था।
अब तक 44 शव बरामद
उधर, सूचना विभाग के आंकड़ा के मुताबिक, दोपहर दो बजे तक सुरंग से पांच और रैणी गांव से छह शव मिले हैं। वहीं, एक शव (मानव अंग) रुद्रप्रयाग से मिला है। इस तरह अब कुल 44 शव बरामद किए जा चुके हैं। डीजीपी अशोक कुमार के अनुसार, सुरंग में रेस्क्यू कार्य जारी है।
टनल में से बरामद शव को बाहर निकालते SDRF व NDRF के जवान। pic.twitter.com/QEHx9rZofi
— SDRF UTTARAKHAND POLICE (@uksdrf) February 14, 2021
चमोली की तपोवन टनल में रेस्क्यू कार्य जारी है। आज अभी तक टनल से 04 एवं रैनी गांव में मलबे से 03 शवों के साथ कुल 07 शव बरामद हुए हैं।#Chamoli #TapovanTunnel #RescueOperation pic.twitter.com/1Bi8rha0Qn
— Ashok Kumar IPS (@Ashokkumarips) February 14, 2021
डीएम-एसपी ने किया बैराज साइड का निरीक्षण
तपोवन में दो शव मिलने के बाद जिलाधिकारी स्वाति भदौरिया और पुलिस अधीक्षक यशवंत सिंह चौहान ने बैराज साइड का निरीक्षण किया है। उनके साथ एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीम भी मौजूद रही। जिलाधिकारी का कहना है कि तलाश अभियान तेजी से चल रहा है। बैकअप में सात एंबुलेंस, पोस्टमार्टम टीम और एक हेलीकॉप्टर भी रखा गया है। अगर कोई भी व्यक्ति जिंदा बरामद किया जाता है तो उसे तुरंत उपचार देने के लिए पूरी व्यवस्था की गई है।
— chamoli police (@chamolipolice) February 14, 2021
आपको बता दें कि सात फरवरी को चमोली की ऋषिगंगा घाटी में आई बाढ़ के बाद अब तक 44 शव बरामद हो चुके हैं, जबकि 160 से ज्यादा लोग अभी भी लापता हैं। इन लोगों में तपोवन सुरंग में फंसे लोग भी शामिल हैं। बाढ़ के कारण 13.2 मेगावाट ऋषिगंगा जलविद्युत परियोजना पूरी तरह तबाह हो गई, जबकि तपोवन विष्णुगाड को भारी क्षति पहुंची थी।