लखनऊ: उत्तर प्रदेश गुंडा नियंत्रण (संशोधन) विधेयक 2021 यूपी विधान परिषद में अटक गया है। समाजवादी पार्टी के विरोध के चलते इसे प्रवर समिति के पास भेज दिया गया है।
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गौरतलब है कि सोमवार को प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने इस विधेयक को विधानसभा से बहुमत से पास करा लिया, लेकिन आज यह सपा के विरोध के चलते विधान परिषद में अटक गया। जानकारी के मुताबिक, उत्तर प्रदेश गुंडा नियंत्रण (संशोधन) विधेयक 2021 को लखनऊ और नोएडा में ही लागू किया जा सकेगा। इस विधेयक के अतंर्गत डीसीपी स्तर का अधिकारी भी गुंडा बिल के तहत कार्रवाई कर सकेगा, जिसका अधिकार अभी तक पुलिस कमिश्नर के पास था।
विधानसभा में बहुमत से पास हुए थे दो विधेयक
राज्य सरकार ने सोमवार को विधानसभा में ‘उत्तर प्रदेश लोक एवं निजी संपत्ति विरूपण निवारण विधेयक-2021’ तथा ‘उत्तर प्रदेश गुंडा नियंत्रण (संशोधन) विधेयक- 2021’ को बहुमत से पारित करा लिया था। नए गुंडा नियंत्रण एक्ट के तहत जिनपर कड़ाई से रोक लगाने का प्रावधान है, उनमें मानव व पशु तस्करी, गोहत्या, मनी लॉन्ड्रिंग और बंधुआ मजदूरी शामिल है।
आसानी से नहीं मिलेगी जमानत
साथ ही अवैध हथियारों का निर्माण व व्यापार, अवैध खनन, जाली नोट और नकली दवाओं के व्यापार जैसे अपराधों पर गुंडा एक्ट के तहत कार्रवाई का प्रावधान है। इन अपराधों में संलिप्त पाए जाने पर आरोपियों की आसानी से जमानत नहीं हो पाएगी और संपत्ति भी जब्त की जाएगी। नए प्रावधान के तहत इन मामलों में आरोपियों को पुलिस अधिकतम 60 दिन के लिए बंद कर सकती है, जो समय पहले 14 दिन का था।
उपद्रवियों से जुर्माना वसूलने का रास्ता साफ
वहीं, विधानसभा से उत्तर प्रदेश लोक एवं निजी संपत्ति विरूपण निवारण विधेयक-2021 भी पास हो गया। इससे विरोध प्रदर्शन के दौरान सरकारी और निजी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने वाले उपद्रवियों से जुर्माना वसूलने का रास्ता साफ हो गया। जानकारी के मुताबिक, नए प्रावधान के तहत धरना प्रदर्शन के दौरान सरकार व निजी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने की पुष्टि होने पर पांच हजार से एक लाख रुपये तक का जुर्माना भरना पड़ेगा।