बलरामपुर। सूबे की योगी सरकार भले ही प्रदेश में बेहतर स्वास्थ्य सेवा देने का दावा कर रही है लेकिन जमीनी हकीकत इससे बिल्कुल उलट है। जनपद बलरामपुर के जिला चिकित्सालय, जिला संयुक्त चिकित्सालय, जिला महिला चिकित्सालय सहित विकास खण्ड स्तर पर स्थापित प्राथमिक व सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र बदहाली का रोना रो रहे हैं। डॉक्टरों की कमी तो है ही बलकि यहां पर स्वास्थ्य सेवायें भी चरमरा चुकी हैं। सीएचसी श्रीदत्तगंज, सीएचसी उतरौला, पचपेड़वा, शिवपुरा, गैसड़ी, तुलसीपुर, के अलावा जिले में स्थापित 11 प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों में गन्दगी की भरमार है। डॉक्टरों की कमी से मरीजों को उचित इलाज नहीं मिल पा रहा है।
जनपद की स्वास्थ्य सेवाओं को संचालित रखने के लिए डॉक्टरों की कमी आड़े आ रही है। शासन द्वारा लनपद बलरामपुर के लिए 131 डॉक्टरों की संख्या निर्धारित की गई है। इसके सापेक्ष केवल 33 डॉक्टर जिल में तैनात हैं। इसमें से भी आधे डॉक्टर बराबर छुट्टी पर रहते हैं। हालात तो यह है कि जिले में एक मात्र बेहोशी के डॉक्टर तैनात थे वो भी ट्रेनिंग के लिए दो साल की छुट्टी पर चले गए। बेहोशी के डॉक्टर न होने से जो कुछ थोड़ा बहुत डिलिवरी ऑपरेशन व अन्य ऑपरेशन होते थे, पूरी तरह ठप हो गए हैं। पूरे जिल में केवल दो सर्जन हैं। महिला चिकित्सालय में एक भी स्त्री रोग विशेषज्ञ महिला चिकित्सक नहीं हैं। जिसके कारण महिलाओं को काफी परेशानियां हो रही हैं।
जिले के सभी नौ विकास खण्डों पर स्वास्थ्य केन्द्र की स्थापना है। इसके अलावा न्याय पंचायत स्तर पर एएनएम सेन्टर स्थापित किए गए हैं। लेकिन इनके संचालन के लिए स्टाफ की कमी है। संयुक्त जिला चिकित्सालय व जिला महिला चिकित्सालय में अति आधुनिक अल्ट्रासाउंड मशीन व डिजिटल एक्स रे मशीन स्थापित है। जिस पर करोड़ों खर्च हुए लेकिन ये मशीनें टेक्नीशियन व विशेषज्ञ डॉक्टरों के अभाव में बंद पड़ी हैं। इन सभी अत्याधुनिक सेवाओं का लाभ जनता को नहीं मिल पा रहा है।