लखनऊ: साल 2015 का एक बड़ा लैपटॉप घोटाला सामने आया। राजधानी स्थित केजीएमयू में ऑनलाइन परीक्षा करवाने के लिए 300 लैपटॉप खरीदे गए थे। इसी मामले में घोटाला होने की बात सामने आई है।
सितंबर 2015 में खरीदे गए थे 300 लैपटॉप
किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी, लखनऊ में ऑनलाइन परीक्षा के लिए 300 लैपटॉप की जरूरत थी। जिसे सितंबर 2015 में खरीदा गया था। इस पूरे मामले में बड़ी धोखाधड़ी सामने आई है। इस केस से जुड़े लोगों पर अब एफआइआर दर्ज की जा रही है।
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आईटी सेल के सदस्य सचिव पर कार्यवाही
उस दौरान केजीएमयू की आईटी सेल के सदस्य सचिव डॉ आशीष वाखलू इस मामले में घिरते दिखाई दे रहे हैं। उनके खिलाफ चौक कोतवाली में एफआइआर दर्ज करवाया गया है। इसके साथ ही पूर्व कुलपति डॉ रवि कांत की भूमिका भी संदेह में है। इसीलिए इस पूरे मामले में सभी आरोपियों की सही पड़ताल के लिए पुलिस जांच कर रही है।
50,000 से अधिक कीमत का लैपटॉप
उस दौरान खरीदा गया एक लैपटॉप 53447 रुपए का था। इस तरह 300 लैपटॉप के लिए एक करोड़ 60 लाख 34 हजार एक सौ रुपए का भुगतान हुआ था। इस लैपटॉप की रकम का इंतजाम सीपीएमटी 2014 निधि के माध्यम से हुआ था। इस पूरी प्रक्रिया के दौरान किसी भी टेंडर या फाइनेंस कमेटी का गठन नहीं हुआ। ऐसे में जब मामले की जांच की गई तो संदेह के दरवाजे खुलते गए।
फाइनेंस कमेटी की जरूरत
सभी सरकारी कामकाज के लिए जो रकम खर्च होती है, उसका एक निश्चित नियम कानून होता है। इसके लिए एक फाइनेंस कमेटी भी गठित की जाती है। जो अपनी सलाह समय-समय पर देती रहती है, 50 लाख रुपए से अधिक कोई भी मामला होने पर फाइनेंस कमेटी का गठन किया जाना नियम में है।
इस कमेटी में शासन के कई अधिकारी होते हैं। इसके साथ ही पूरी प्रक्रिया में निश्चित गाइडलाइन और नियमों का पालन किया जाता है। लेकिन उक्त प्रकरण में किसी भी तरीके की फाइनेंस कमेटी या गाइडलाइन का पालन नहीं किया गया।
खुल रही है धीरे-धीरे पोल
अभी कुछ दिन पहले गोमती रिवरफ्रंट मामले में भी चार्जशीट दायर की गई। इसके बाद यह नया लैपटॉप घोटाला भी सामने आ गया। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव लगातार योगी पर हमला कर रहे हैं। ऐसे में मौजूदा सरकार के लिए यह दोनों मामले विपक्ष को घेरने के लिए नया अवसर दे सकते हैं।