मेरठ। पब्लिक स्कूलों में फीस बढ़ोत्तरी और कई मदों में शुल्क वृद्धि को लेकर आम जनता ने आवाज उठानी शुरू कर दी है। मेरठ मंडल में दस से 20 प्रतिशत तक फीस बढ़ाने के मुद्दे पर पीएम और सीएम तक आवाज पहुंचनी शुरू हो गई है। वहीं जेडी ने भी फीस बढ़ोत्तरी व अन्य मदों में शुल्क को लेकर सख्ती के साथ कुछ दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इसके अलावा मेरठ जनपद में कुछ जागरूक संगठन ने भी पब्लिक स्कूलों के खिलाफ मुहिम छेड़ दी है।
अभिभावकों ने बताया कि पब्लिक स्कूलों द्वारा अभिभावकों से मनमानी फीस वसूली की जा रही है। कभी तिमाही शुल्क, तो कभी छमाई शुल्क वसूला जा रहा है। इसके अलावा कमीशन के चक्कर में एक ही दुकान से यूनिफार्म, एक ही दुकान से स्टेशनरी और एक ही दुकान से किताब कॉपी खरीदने के लिए बाध्यता की जा रही है।
उन्होंने मुख्यमंत्री से कहा कि पब्लिक स्कूलों को लेकर हर बार प्रशासन स्तर पर बैठक, आदेश जारी किए जाते हैं, लेकिन सटीक निर्णय नहीं हो पाता है। इसलिए इस मामले में अब मुख्यमंत्री को सख्त कदम उठाने चाहिए। वही एक दूसरे अभिभावक ने भी सीबीएसई से सूचना के अधिकार के तहत तमाम समस्याओं पर सवाल उठाते हुए जवाब मांगे हैं।
इसमें सीबीएसई बोर्ड से पूछा है कि मान्यता प्राप्त स्कूलों द्वारा हर साल कितने प्रतिशत तक स्कूल फीस बढ़ा सकते हैं। नए सत्र की शुरुआत में एनुअल चार्ज, डेवलपमेंट चार्ज, बिलिंडग चार्ज और मिसलेनियस ड्यूज लेने का कोई अधिकार इन स्कूलों दिया जाता है अथवा नहीं, उधर डी एम् समीर वर्मा ने बताया कि फ़िलहाल को भी अभिभावक उनसे इस सम्बन्ध में मिलने नही आया है, लेकिन फीस बढ़ोतरी का प्रकरण चल रहा है।
इसमें पूर्व में एक कमेंटी बनाई गई थी, फ़िलहाल उसे ऐटीवेट करना है, और जाँच करकर ये सुनिचित करना है कि कोई नियमो की अवहेलना तो नही कर रहा है, अगर स्कूल ऐसा करते है तो उनपर नियमानुसार कार्यवाही की जाएगी।
फीस बढोतरी से ना केवल अविभावकों
को परेशानी हो रही है, बल्कि कुछ मिडिल क्लास बच्चो का भविष्य भी आधार में लटकता जा रहा है, होनहार बच्चो को स्कूल छोड़ना पड़ रहा है। जबकि सरकारी स्कूल उन बच्चो को वो शिक्षा नही देपाते, ऐसे में या तो प्राइवेट स्कूलों पर शिकंजा कसा जाए, या फिर सरकारी स्कूलों में पढाई का स्तर सुधार जाए।
शानू भारती, संवाददाता