featured Travel पर्यटन यूपी राज्य

प्रदूषण मुक्त होगी काशी की गंगा, देव दिवाली से गंगा में चलेगी सीएनजी बोट

जानिए आखिर क्यों मनाते हैं गंगा दशहरा, क्या है धार्मिक मान्यता

पिछली देव दिवाली पर जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी क्रूज़ से गंगा की सैर की थी तभी उन्होंने डीजल से चलने वाली बोट के ज़हरीले धुएं और शोर से काशी की गंगा को मुक्ति दिलाने का संकल्प किया था। जिसे अब प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बखूबी अंजाम देने जा रहे हैं।

सीएम योगी ने प्रधानमंत्री की इच्छा पूर्ति के लिए  वाराणसी में गंगा में चलने वाली करीब 500 मोटर बोट को 19 नवंबर देव दीपावली तक सीएनजी से चलाने का लक्ष्य है। आने वाले समय में गंगा में शत प्रतिशत बोट सीएनजी से चलाने की योजना है। मोक्षदायिनी गंगा दुनिया की पहली नदी होगी, जहां इतने बड़े पैमाने पर सीएनजी आधारित बोट चलेंगी। 

ये भी पढ़े : उत्तराखंड मना रहा है 21वां स्थापना दिवस, जानिए इन 21 सालों में क्या हुए बदलाव

जहरीले धुएं और बोट की तेज आवाज से मिलेगी मुक्ति

धर्म नगरी काशी में आने वाले पर्यटक गंगा में बोटिंग करके अर्धचंद्राकार घाटों के किनारे सदियों से खड़ी इमारतों, मंदिर-मठों को देखते हैं। अब यहाँ आने वाले पर्यटकों को गंगा में बोटिंग करते समय ज़हरीले धुएं और बोट की तेज आवाज से मुक्ति मिलने वाली है। सभी डीज़ल आधारित बोटों को देव दीपावली तक सीएनजी आधारित  करने का लक्ष्य है । वाराणसी दुनिया का पहला शहर होगा, जहां इतने बड़े पैमाने पर सीएनजी से नावों का संचालन होगा। गंगा में फ्लोटिंग सीएनजी स्टेशन की भी योजना है। इससे गंगा के बीच में भी सीएनजी भरी जा सकेगी। 

डीजल बोट को सीएनजी बोट में कन्वर्ट करने का तेजी से चल रहा है काम

स्मार्ट सिटी के जीएम डी वसुदेवम ने बताया कि गंगा में क़रीब 1700 छोटी-बड़ी नावें चलती हैं। इनमे से करीब 500 बोट डीज़ल इंजन से चलने वाली है। लगभग 177 बोट में सीएनजी इंजन लगा चुका है। बचे हुए मोटर बोट को देव दीपावली तक सीएनजी इंजन से चला देने का लक्ष्य है। ये काम गेल इण्डिया कोर्पोरेट सोशल रिस्पांसबिल्टी के तहत करा रही है। करीब 29 करोड़ के बजट से 1700 छोटी और बड़ी नाव में सीएनजी इंजन लगया जा रहा है। इसमें छोटी नाव पर करीब 1.5 लाख का खर्च आ रहा है, जबकि बड़ी नाव और बज़रा पर लगभग 2.5 लाख का ख़र्च है । नाविकों के नाव में सीएनजी किट मुफ़्त लगाया जा रहा है। स्मार्ट सिटी के प्रोजेक्ट मैनेजर सुमन कुमार राय ने बताया कि जिस नाव पर सीएनजी आधारित इंजन लगेगा, उस नाविक से डीज़ल इंजन वापस ले लिया जाएगा। घाट पर ही डाटर स्टेशन हैं। जेटी पर डिस्पेंसर भी लग गया है। नाविकों का कहना है कि सीएनजी इंजन से आधे खर्चे में दुगनी दूरी तय  कर रहे हैं। धुआँ और तेज आवाज नहीं होने से पर्यटकों को भी अच्छा लग रहा है। 

ये भी पढ़े : उत्तराखंड 21वां स्थापना दिवस, सीएम पुष्कर धामी ने किए कई बड़े ऐलान

सीएनजी से प्रदूषण भी होगा कम

सीएनजी आधारित इंजन डीज़ल और पेट्रोल इंजन के मुक़ाबले 7 से 11 प्रतिशत  ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन कम करता है, वहीं सल्फर डाइऑक्सइड जैसी गैसों के न निकलने से भी प्रदूषण कम होता है। डीजल इंजन से नाव चलाने पर जहरीला धुआं निकलता है जो आसपास रहने वाले लोगों के लिए बहुत हानिकारक है, जबकि सीएनजी के साथ ऐसा नहीं है। डीजल इंजन की तेज आवाज़ से कंपन होता है, जिससे इंसान के साथ ही जलीय जीव-जन्तुओं पर बुरा असर पड़ता है और इको सिस्टम भी खराब होता है। इसके साथ ही घाट के किनारे हज़ारों सालों से खड़े  ऐतिहासिक धरोहरों को भी नुकसान पहुंच रहा था। डीजल की अपेक्षा सीएनजी कम ज्वलनशील होती है अतः इससे चालित नौकाओं से आपदाओं की आशंका कम होगी।

 

Related posts

राजस्थान: उदयपुर में आयकर विभाग ने रियल एस्टेट के कारोबारियों के 39 ठिकानों पर की रेड

Rahul

मथुरा और फिरोजबाद में बुखार का कहर, लोग पलायन को मजबूर

Shailendra Singh

हरियाणाः सरकार ने 59 गांवों में खराब हुई खरीफ की फसलों के विशेष सर्वे के आदेश दिए हैं

mahesh yadav