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मठ से मुख्यमंत्री कुर्सी तक…. सन्यासी योगी आदित्यनाथ दूसरी बार सीएम बन रचेंगे इतिहास

yogi 1 मठ से मुख्यमंत्री कुर्सी तक…. सन्यासी योगी आदित्यनाथ दूसरी बार सीएम बन रचेंगे इतिहास

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 में भाजपा ने प्रचंड बहुमत के साथ जीत हासिल की। इसके बाद अब योगी आदित्यनाथ लगातार दूसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेकर इतिहास रचने के लिए तैयार है। बता दे 1985 के बाद यह पहली बार है जब यूपी में सत्तासीन पार्टी लगातार दूसरी बार सत्ता में काबिज हुई है। योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री बनने से पहले गोरखपुर लोकसभा सीट से 5 बार सांसद रह चुके हैं। योगी आदित्यनाथ का गोरखपुर मठ के आसपास के क्षेत्रों में अधिक प्रभाव था। लेकिन मुख्यमंत्री बनते हैं उनका प्रभाव पूरे प्रदेश में देखने को मिल रहा है। 

वहीं भाजपा की इस शानदार जीत के पीछे योगी आदित्यनाथ की छवि को अहम बताया जा रहा है। 49 वर्षीय योगी आदित्यनाथ देश के सबसे चर्चित मुख्यमंत्री हैं। सीएम योगी ने अपने कार्यकाल के दौरान कई विवादास्पद निर्णय लिए हैं जिन्हें अन्य देशों ने भी अपनाया है। सीएम योगी ने धर्मांतरण विरोधी कानून, लव जिहाद, बूचड़खाने के खिलाफ कार्यवाही, एंटी रोमियो, के साथ भू माफिया के खिलाफ जबरदस्त कार्यवाही की है।जिसकी वजह से उन्हें बुलडोजर बाबा के नाम से भी जाना जाता है। 

गोरखपुर सदर विधानसभा सीट से इस बार योगी आदित्यनाथ एक लाख से अधिक वोटों से जीते हैं वह गोरखपुर से लगातार पांच बार सांसद भी रह चुके हैं योगी आदित्यनाथ 998 से चुनाव जीतते आ रहे हैं 2017 में वह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने और 2022 के विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री चेहरे के रूप में उन्होंने चुनाव लड़ा।

सिर्फ 22 वर्ष की उम्र में योगी आदित्यनाथ ने नाथपंथ में दीक्षित होकर एक सन्यासी बन गए। सन्यासी के रूप में योगी आदित्यनाथ ने उत्तर भारत के प्रमुख मठों में शुमार गोरखपुर स्थित गोरक्षपीठ के पीठाधीश्वर ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ के उत्तराधिकारी बने।

योगी आदित्यनाथ के गुरु ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ ने आपने प्रिय शिष्य योगी आदित्यनाथ को अपनी राजनीतिक विरासत सौंपी दी। इस तरह 1998 में 26 वर्षीय योगी आदित्यनाथ लोकसभा के सबसे कम उम्र के सांसद बन गए। एक बार योगी आदित्यनाथ ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और लगातार पांच बार गोरखपुर संसदीय क्षेत्र से सांसद चुने गए। 

योगी आदित्यनाथ का जन्म 9 जून 1972 में उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल के पंचुर गांव में एक सामान्य परिवार में हुआ था। योगी आदित्यनाथ के पिता आनंद सिंह बिष्ट वन विभाग में रेंजर थे। शुरुआत से योगी आदित्यनाथ राष्ट्रवादी विचारधारा से प्रेरित और 90 के दशक में उनका जुड़ाव राम मंदिर आंदोलन से हुआ। राम मंदिर आंदोलन के द्वारा योगी इसके नायक गोरक्षपीठधीश्वर महंत अवैद्यनाथ के संपर्क में आए। महान के सानिध्य में उनको नाथ पंथ के बारे में ज्ञान प्राप्त हुआ और वह इस से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने गढ़वाल यूनिवर्सिटी से स्नातक में साइंस तक शिक्षा ग्रहण करने के पश्चात सन्यास लेने का निर्णय लिया।

इसके बाद 1993 में योगी आदित्यनाथ गोरखपुर मंदिर आ गए। और नाथ पंथ की परंपरा के अनुरूप धर्म, अध्यात्म की तात्विक विवेचना और योग साधना में रम गए। इसके बाद महंत अवैद्यनाथ ने उन्हें 15 फरवरी 1994 में गोरक्षापीठ का उत्तराधिकारी घोषित कर दिया। 1996 में गोरखपुर लोक सभा चुनाव जीतने के बाद महंत अवैद्यनाथ ने घोषणा कर दी उनके राजनीतिक उत्तराधिकारी भी योगी आदित्यनाथ रहेंगे। 1998 में लोकसभा चुनाव में गोरखपुर विधानसभा सीट से योगी आदित्यनाथ चुनावी मैदान में उतरे और उन्होंने जीत हासिल की। 

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