बलरामपुर। उत्तर प्रदेश का बलरामपुर का 90 किलोमीटर का हिस्सा भारत-नेपाल सीमा से सटा हुआ है। तमाम वन सम्पदाओं से परिपूरण होने के बावजूद भी ये क्षेत्र काफी पिछड़ा हुआ है। वहीं सीमा पर तैनात सशस्त्र सीमा बल बॉर्डर पर अपनी सुरक्षा तैनाती के साथ-साथ सीमावर्ती क्षेत्रों के पिछड़े और सामाजिक रुप से पिछड़े गांव के लोगों की आर्थिक सामाजिक दशा को सुधारने के लिए लगातार प्रयास कर रही है। एसएसबी द्वारा सीमावर्ती गांवो में स्वच्छता, शिक्षा, स्वास्थ्य, सामाजिक कुरीतियों और गरीबी के प्रति लगातार जागरूकता अभियान चलाकर जागरूक किया जा रहा है। एसएसबी की तैनाती खनिज संपदाओं की सुरक्षा और सीमा पर हो रहे किसी भी हलचल से निपटने के लिए की गई थी। सशस्त्र सीमा बल के जवानों ने इस क्षेत्र में अपनी दोहरी भूमिका निभाई है । सीमा पर सुरक्षा के साथ-साथ सामाजिक रूप से पिछड़े हुए यहां के लोगों की आर्थिक और सामाजिक दशा को सुधारने के लिए भी लगातार प्रयास किए हैं।
सामाजिक चेतना अभियान के तहत यहां के लोगों को स्वास्थ्य शिक्षा साफ सफाई से लेकर देश व विदेश की तमाम संस्कृति और संसाधनों से भी अवगत करा रहे हैं। देश के विभिन्न प्रांतों में होने वाली सामाजिक गतिविधियों का प्रदर्शन इस अभियान के तहत सीमा बल के जवानों और स्थानीय विद्यालयों के बच्चों द्वारा प्रस्तुत करने का प्रयास किया गया। सीमावर्ती क्षेत्र के इन गांव में अधिकांश थारू जाति के लोग निवास करते हैं जो शिक्षा के मामले में काफी पिछड़े हैं और अभी भी प्राचीन सभ्यता में जी रहे हैं। सामाजिक चेतना अभियान के दौरान क्षेत्र के लोगों को सरकार द्वारा चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं की जानकारी दी गई और बेटा व बेटी के बीच किए जाने वाले वाले भेदभाव को मिटाने के लिए भी प्रेरित किया गया।
सशस्त्र सीमा बल द्वारा सीमा की सुरक्षा के साथ साथ क्षेत्र में चलाए जा रहे सामाजिक जागरूकता अभियानों की मुख्य अतिथि विधायक असलम राइनी ने उनकी प्रशंसा करते हुए कहा कि जब से सशस्त्र सीमा बल की तैनाती क्षेत्र में हुई है यहां के लोगों के रहन-सहन में काफी परिवर्तन आया है। ऐसे क्षेत्र में जहां लोग पुलिस की वर्दी तक देखकर डरते थे इन्हें अपने बीच पाकर मित्रवत व्यवहार देखकर काफी प्रभावित हुए हैं। हर मुसीबत की घड़ी में एसएसबी के जवान यहां के लोगों के साथ खड़े रहते हैं। एसएसबी के कमांडेंट प्रदीप कुमार ने बताया सशस्त्र सीमा बल सीमा पर अपने दायित्वों का निर्वहन बखूबी कर रही है साथ ही पिछड़े क्षेत्र के विकास के लिए भी लगातार जागरुकता अभियान के माध्यम से प्रयास कर रही है।