पाकिस्तान पर आए दिन यह आरोप लगते रहते हैं कि वह आतंकियों को भारतीय सीमा में घुसपैठ कराने में सहायता करता है। पाकिस्तान को आतंकी की फैक्ट्री के नाम से भी पहचाना जाता है। लेकिन पाकिस्तान की तरह से यह दावा आए दिन सामने आता है कि वह भी आतंक का विरोधी है और पाकिस्तान में वह किसी भी आंतकी संगठन को मदद नहीं करता है बलकि इसके खिलाफ कार्रवाई करता है। लेकिन यह भी सिद्ध हो रखा है कि पाकिस्तान आतंकियों को पूरी पूरी मदद करता है। लेकिन आतंक के मामले में अब पाकिस्तान घिरता हुआ नजर आ रहा है। दरअसल पाकिस्तान के सामने रक्षा क्षेत्र में फंडिंग पर अमेरिका ने कड़ी शर्त रख दी है।
अमेरिका की तरफ से पाकिस्तान पर रक्षा क्षेत्र में मिलने वाली फंडिंग पर शर्त रखी गई है जिसका पालन करने के बाद ही अमेरिका पाकिस्तान को डिफेंस में फंड देगा। अमेरिकी रक्षा मंत्री की यह जिम्मेदारी भी है कि पाकिस्तान को दी गई शर्तों का वह पालन करें। अमेरिकी प्रतिनिधि सभा में साल 2018 के बजट पारित हुआ है। इसमें तीन संशोधनों को मंजूदी दी गई है। इन संशोधनों में पाकिस्तान पर कड़ी शर्ते लगाई गई हैं। इस शर्तों के अनुसार आतंक के खिलाफ पाकिस्तान को अपनी कार्रवाई को सिद्ध करना होगा। अगर पाकिस्तान ऐसा करता है तब ही अमेरिका द्वारा पाकिस्तान को रक्षा क्षेत्र में आगे का फंड दिया जाएगा।
अमेरिकी अच्चाधिकारियों के साथ सांसदों ने भी आतंक के खिलाफ गहरी चिंता व्यक्त की है। और यही कारण है कि अमेरिका ने पाकिस्तान के सामने यह शर्त रख है। वही संशोधन के अनुसार रक्षा क्षेत्र में पाकिस्तान को 40 करोड़ डॉलर की सहायता देने का प्रस्ताव रखा गया है। लेकिय यह सहायता राशि तब ही दी जाएगी जब अमेरिकी रक्षा मंत्री प्रमाणित नहीं कर देते कि आतंकियों के खात्मे के लिए पाकिस्तान लगातार सैन्य अभियान चला रहा है। अब देखना यह होगा कि पाकिस्तान अफगानिस्तान का पूरा सहयोग पाकिस्तान और अफगानिस्तान सीमा पर हक्कानी नेटवर्क की आवाजाही को कोरने के लिए सहयोग कर रहा है। ऐसे में फंड देने से पहले अमेरिकी रक्षा मंत्री सुनिश्चित करेंगे कि आतंकरोधी उपायों पर सही तरह से अमल किया जाए, पाकिस्तान द्वारा सुरक्षा इंतजामों में सख्ताई बर्ती जाए, पाकिस्तान द्वारा सीमा पार के हमलों को रोकने के लिए ठोस कदम उठाया जाए।