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मुस्लिम शरणार्थियों के अमेरिका में प्रवेश पर रोक से इस्लामिक देशों में विरोध शुरू

donal trump मुस्लिम शरणार्थियों के अमेरिका में प्रवेश पर रोक से इस्लामिक देशों में विरोध शुरू

वॉशिंगटन। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पहले पेंटागन दौरे में सात मुस्लिम देशों के शरणार्थियों के देश में प्रवेश पर रोक लगा दी है। इससे जुड़े एक शासकीय आदेश पर उन्होंने शुक्रवार को हस्ताक्षर भी कर दिया है जिसमें उनके 120 दिनों तक प्रवेश पर रोक लगायी गयी है। यह आदेश तत्काल प्रभाव से लागू भी कर दिया गया है। जिन सात मुस्लिम देशों के नागरिकों के देश में प्रवेश पर प्रतिबंध लगाया गया है उनमें सीरिया, यमन, सोमालिया, इराक, ईरान, सूडान, लीबिया शामिल हैं। ताजे आदेश में फिलहाल चार महीने के लिए प्रतिबन्ध लगाया गया है। राष्ट्रपति पद की शपथ लेते ही ट्रम्प के पहले आदेश से पूरी दुनिया में हलचल सी मच गयी है और विरोध भी शुरू हो गए हैं। मुस्लिम देशों पर लगाई गयी पाबंदियों के बावजूद पाकिस्तान को पाबंदियों से अलग रखा गया है।

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पेंटागन के रक्षा सचिव जेम्स मट्टीज ने बताया कि प्रतिबंधित अवधि के बाद भी शरणाथियों का प्रवेश सशर्त और स्पष्ट कारणों के बाद ही दिया जा सकेगा और इसके लिए उन्हें उनके देश की अनुमति के साथ -साथ होमलैंड सुरक्षा विभाग , राज्य सरकार और राष्ट्रीय इंटेलिजेंस निदेशालय की अनुमति लेनी होगी। सूत्रों ने कहा कि इस्लामिक देशों द्वारा विश्व में चलायी जा रही आतंकवादी गतिविधियों के मद्देनजर यह फैसला लिया गया है। रक्षा सचिव ने बताया कि ऐसे लोगों के वीजा भी निलंबित कर दिए गये हैं और नए शासकीय आदेश के अनुसार प्रकिया और व्यवस्था में बदलाव लाने की प्रशासनिक तैयारियां शुरू कर दी गयी हैं। शासकीय आदेश पर हस्ताक्षर करने के बाद ट्रंप ने कहा कि अफगानिस्तान, पाकिस्तान और सऊदी अरब उन देशों में शामिल नहीं हैं, जिनके नागरिकों को अमेरिका आने के लिए वीजा प्रतिबंध का सामना करना पड़ेगा। सभी देशों के शरणार्थियों के आने पर कम से कम 120 दिनों तक के लिए रोक लगा दी गई है मगर सीरिया के शरणार्थियों के लिए यह आदेश अनिश्चितकालीन रहेगा। इस फैसले से अमेरिका में शरणाथियों के कारण देशवाशियों को होने वाली परेशानी घटेगी और शरणाथियों की संख्या भी देश से घटेगी |

बता दें कि कि पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने अपने कार्यकाल में मुस्लिम देशों के साथ संबन्ध सुधारने की कोशिश में शरणाथियों के प्रवेश को अनुमति दी थी जिसके बाद करीब 110000 शरणार्थी को प्रवेश मिल गया था। यह भी अनुमान था की अगर रोक नहीं लगाई जाती तो वर्ष 2017 में 50000 और शरणार्थी आ जाते।फिलहाल 10 हजार शरणार्थी आने की प्रक्रिया में थे जिन्हें अब प्रवेश की अनुमति नहीं मिलेगी। पेरिस में 2015 में हुए आतंकी हमले के बाद ही अमेरिका के तत्कालीन उप राष्ट्रपति माईक पेन्स समेत आधे से अधिक अमेरिकी गवर्नर्स ने सीरियाई रिफ्यूजी पर रोक लगाने में अपनी सहमति जताई थी पर उसे ओबामा ने टाल दिया था।

इधर सीरिया के लोगों का कहना है कि वे शरणार्थी जरूर हैं पर आतंकवादी नहीं हैं और अमेरिकी राष्ट्रपति का यह फैसला दुर्भाग्यपूर्ण है। एक अमेरिकी अखबार के अनुसार सीरिया के रिफ्यूजी शाकिर, हजार नबीहा डर्बी जो मात्र 18 माह पहले ही अमेरिका में आकर स्कूलों में शिक्षण का काम कर रहे थे, अब उन्हें भी स्वदेश लौटना होगा। नए अमेरिकी राष्ट्रपति के फैसले को सबों ने दुर्भाग्यपूर्ण कहा है। इधर अमेरिकी राष्ट्रपति के इस फैसले से पूरे इस्लामिक देशों में हलचल सी मच गयी है। काउंसिल ऑन अमेरिकन-इस्लामिक रिलेशन ने घोषणा की है कि वह 20 से ज्यादा लोगों की ओर से ट्रंप की हस्ताक्षरित शासकीय आदेश मुस्लिम प्रतिबंध को चुनौती देते हुए संघीय मुकदमा दायर करेगी।

 

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