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अमेरिका ने कच्चे तेल के आयात पर छूट देने से खींचा हाथ, भारत-चीन पर पड़ेगा ज्यादा असर

donald अमेरिका ने कच्चे तेल के आयात पर छूट देने से खींचा हाथ, भारत-चीन पर पड़ेगा ज्यादा असर

एजेंसी, नई दिल्ली। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान से कच्चे तेल के आयात पर आगे किसी देश को कोई छूट नहीं देने का फैसला किया है। अमेरिका के इस फैसले का सबसे ज्यादा असर भारत और चीन पर पड़ने वाला है। इससे भारत के लिए कच्चे तेल की लागत तीन से पांच फीसदी बढ़ जाने की आशंका है। इससे महंगाई बढ़ सकती है और रुपये में गिरावट आ सकती है। आइए जानते हैं कि ईरान से तेल आयात रुकने पर भारत को और क्या नुकसान या फायदे हो सकते हैं।

निर्यात घटेगा
कच्चे तेल की कीमतों में तीन से पांच प्रतिशत की अनुमानित वृद्धि से देश का निर्यात कारोबार प्रभावित होगा। यह बात भारतीय व्यापार संवर्द्धन परिषद (टीपीसीआई) ने कही है। समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक परिषद के चेयरमैन मोहित सिंगला ने कहा, ‘निर्यात क्षेत्र पर प्रभाव पड़ना तय है क्योंकि सभी तरह के उत्पादन एवं सेवाओं में कच्चा तेल एक मध्यवर्ती सामान की तरह इस्तेमाल होता है। सिंगला का मानना है कि प्रतिबंधों से मिली छूट को खत्म करने से कच्चे तेल की कीमत तत्काल तीन से पांच प्रतिशत बढ़ जाएगी। सिंगला ने कहा कि एक अनुमान के मुताबिक तेल की कीमतों में 10 प्रतिशत की वृद्धि से व्यापार घाटा सात अरब डॉलर बढ़ सकता है। इसके परिणामस्वरूप व्यापार घाटा 5.6 प्रतिशत बढ़ जाएगा और जीडीपी में 0.2 प्रतिशत की कमी आएगी। इससे रुपये पर भी दबाव बढ़ेगा और इसका असर महंगे आयात के रूप में सामने आएगा।

महंगाई बढ़ेगी
कच्चे तेल की कीमतें बढ़ने से महंगाई के फिर से ऊपर की ओर जाने की आशंका बन जाएगी। जानकारों का मानना है कि चुनाव तक तो सरकार किसी तरह से इसके असर को रोक कर रखेगी, लेकिन नई सरकार बनते ही पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ा दिए जाएंगे और इसकी वजह से महंगाई भी बढ़ जाएगी। इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, चालू खाते का घाटा कच्चे तेल की ऊंची कीमतों से व्यापार घाटा और चालू खाते का घाटा बढ़ेगा, क्योंकि आयात की लागत बढ़ जाएगी। केयर के मुताबिक अगर कच्चे तेल की कीमतें 10 फीसदी बढ़ जाएं, तो चालू खाते के घाटे में जीडीपी का 0.4 से 0.5 फीसदी तक का इजाफा हो सकता है।

रुपया और गिरेगा
चालू खाते का घाटा बढ़ने से पहले से ही काफी ढलान पर चल रहे रुपये में डॉलर के मुकाबले और गिरावट आ सकती है। आयात बिल बढ़ने से रुपये पर दबाव बढ़ेगा।बुधवार को कारोबार के दौरान डॉलर के मुकाबले रुपया 32 पैसे गिरकर 69.94 तक पहुंच गया।

खजाने पर ये होगा असर
ईरान से तेल आयात बंद होने की वजह से मिलने वाला महंगा कच्चा तेल सरकारी खजाने पर भी असर डालेगा। यह असर राजस्व और खर्च दोनों पर होगा। राजस्व के मोर्चे की बात करें तो पेट्रोल-डीजल की कीमतें बढ़ने से राज्यों का राजस्व बढ़ेगा, क्योंकि उनका टैक्स कीमत के आधार पर होता है, लेकिन केंद्र के राजस्व पर कोई असर नहीं आएगा, क्योंकि उसे प्रति लीटर निश्चित टैक्स मिलता है। ईंधन पर सब्सिडी खर्च बढ़ जाने से केंद्र सरकार का व्यय बढ़ेगा। केयर ने पहले अनुमान जारी किया था कि इस वित्त वर्ष में एलपीजी पर 32,989 करोड़ रुपये और केरोसीन पर 4,489 करोड़ रुपये खर्च करने होंगे।

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