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अमेरिका ने अफगानिस्तान में भारत की भूमिका को सराहा

Mark toner अमेरिका ने अफगानिस्तान में भारत की भूमिका को सराहा

वॉशिंगटन। भारत, अमेरिका और अफगानिस्तान के बीच इस माह के अंत में न्यूयॉर्क में प्रस्तावित त्रिपक्षीय वार्ता से पहले अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी की हाल की भारत यात्रा के बाद अमेरिका ने अफगानिस्तान को एक मजबूत राष्ट्र बनाने में भारत की ‘उदारता’ और ‘इच्छाशक्ति’ की प्रशंसा की है। अमेरिकी विदेश विभाग के उप प्रवक्ता मार्क टोनर ने गुरुवार को एक नियमित प्रेस ब्रीफिंग में कहा, “हम जाहिर तौर पर भारत की उदारता और अफगानिस्तान पर उसके विशेष ध्यान और अफगानिस्तान को अच्छी आर्थिक वृद्धि के साथ एक मजबूत, स्वतंत्र राष्ट्र बनने में और साथ ही खुद की रक्षा करने और अपने नागरिकों को सुरक्षा प्रदान करने की क्षमता विकसित करने में अफगानिस्तान की मदद करने की भारत की इच्छा का समर्थन करते हैं।”

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टोनर ने कहा, “सच्चाई यह है कि भारत भविष्य में निवेश करने को तैयार है, जिसे हम एक बहुत ही सकारात्मक संकेत के रूप में देख सकते हैं और हम भारत के प्रयास की सराहना करते हैं।” इस साल अगस्त में अमेरिका-भारत रणनीतिक और वाणिज्यिक वार्ता के बाद अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन केरी ने कहा था कि अमेरिका, भारत और अफगानिस्तान सितंबर में संयुक्त राष्ट्र महासभा के सत्र से इतर एक त्रिपक्षीय बैठक आयोजित करेंगे, जिसमें अफगानिस्तान की प्रमुख अवसंरचना परियोजनाओं में भारत के निवेश पर चर्चा की जाएगी।

केरी ने वार्ता के बाद 30 अगस्त को एक संयुक्त प्रेस वार्ता में कहा था, “मैं अफगानिस्तान में भारत के महत्वपूर्ण योगदान के प्रयासों के लिए भारत का शुक्रिया अदा करना चाहता हूं।” गनी की बुधवार की दिल्ली यात्रा के दौरान भारत ने एक एकीकृत, संप्रभु, लोकतांत्रिक, शांतिपूर्ण, स्थिर और समृद्ध अफगानिस्तान विकसित करने के लिए एक अरब डॉलर मदद की घोषणा की थी। गनी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए भारत-अफगानिस्तान सामरिक भागीदारी समझौते में परिकल्पित सुरक्षा और रक्षा सहयोग को मजबूत करने के अपने संकल्प को दोहराया था।

पाकिस्तान का नाम लिए बिना दोनों नेताओं ने क्षेत्र में आतंकवाद के राजकीय प्रायोजकों पर गंभीर चिंता व्यक्त की थी। अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच पारगमन समझौते में भारत को शामिल किए जाने के बारे में पूछे जाने पर टोनर ने कहा, “मैं सिर्फ मोटे तौर पर इतना कह सकता हूं कि हम इस क्षेत्र के भीतर मजबूत व्यापारिक संबंधों का समर्थन करेंगे।” उन्होंने कहा, “हम लंबे समय से कह रहे हैं कि यह अमेरिका की प्राथमिकता है, लेकिन इसके साथ ही इस क्षेत्र में स्थित देशों की भी सहयोगात्मक और रचनात्मक तरीके से काम करने की प्राथमिकता होनी चाहिए।”

अमेरिका के विशेष प्रतिनिधि रिचर्ड होलब्रुक की मध्यस्थता में 2010 में पूर्व के एक समझौते के स्थान पर अफगानिस्तान-पाकिस्तान पारगमन व्यापार समझौते को अंतिम रूप दिया गया था। गनी और मोदी के बीच बुधवार को वार्ता के बाद भारतीय विदेश सचिव एस. जयशंकर ने कहा था कि भारत अफगानिस्तान को 1.7 लाख टन गेहूं की आपूर्ति करने को तैयार है, लेकिन इस काम में पारगमन की समस्या बाधा बनी हुई है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान से एक पारगमन अनुरोध किया गया था, लेकिन वहां से कोई जवाब नहीं आया।

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