लखनऊ। भारतीय जनता पार्टी जहां देश में सबका साथ सबका विकास करना में भरोसा जताती है तो वहीं अपने ही पार्टी के सभी नेताओं का विकास एक साथ नहीं कर रही है खबर है कि यूपी के सीएम योगी आजकल नाराज हैं और वजह है टिकट मन के मुताबिक नमिलना। सूत्रों ने बताया कि जब गुरुवार को बुलंदशहर से बीजेपी कैंडिडेट भोले सिंह के विरोध में कार्यकर्ताओं ने नारेबाजी की, तो खुद योगी ने उन्हें समझाया और शांत कराया। कार्यकर्ताओं की मांग थी कि भोले सिंह की जगह किसी नए चेहरे को टिकट दिया जाए।
यहां एक रैली को संबोधित करते हुए योगी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर वोट करने की अपील की थी। योगी ने कहा, ‘यह चुनाव किसी उम्मीदवार से ज्यादा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जिताकर उनके हाथ मजबूत करने का मौका है।’
चुनाव चाहे लोकसभा के हों या राज्यसभा या विधानसभा के, किसी त्योहार से कम नहीं होते। हर बार ऐसी यादें भी रह जाती हैं जो चुनावी इतिहास के पन्नों पर दर्ज हो जाती हैं। आगे तस्वीरों में देखें, ऐसे ही कुछ ऐतिहासिक पल…
आज हम नतीजे घर से लेकर बाजारों तक में लगीं बड़ी-बड़ी स्क्रीन्स पर देखते हैं। तस्वीर में देखिए, नई दिल्ली में टाइम्स ऑफ इंडिया ऑफिस के पास स्कोरबोर्ड पर डिस्प्ले किए गए 1980 लोकसभा चुनाव के नतीजे।
इलाहाबाद में प्रचार करते अमिताभ बच्चन। 1984 लोकसभा चुनाव में अमिताभ बच्चन ने इलाहाबाद से चुनाव लड़ा था, उन्होंने एचएन बहुगुणा को हराया था। अमिताभ इस सीट से 1,87,795 मतों से जीते थे हालांकि तीन साल बाद उन्होंने राजनीति छोड़ने का ऐलान कर सांसद पद से इस्तीफा दे दिया था।
1984 के चुनावों में बांद्रा के पाली हिल में एक पोलिंग बूथ पर अपनी बारी का इंतजार करते ऐक्टर ऋषि कपूर।
1991 में राजीव गांधी बॉम्बे में एक रैली को संबोधित करते हुए। इससे पहले के लोकसभा चुनाव सिर्फ 16 महीने पहले ही हुए थे। 1991 के चुनावों में किसी पार्टी को बहुमत में नहीं मिला था और कांग्रेस ने अल्पमत की सरकार बनाई थी। इसी दौरान 20 मई को चुनाव के पहले चरण के मतदान के एक दिन बाद ही 21 मई को प्रचार करते हुए तमिलनाडु में राजीव गांधी की हत्या कर दी गई थी।
ममता बनर्जी पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री ज्योति बासु के साथ। उस वक्त ममता केंद्रीय युवा, खेल और बाल कल्याण मंत्री थीं। यह मुलाकात कोलकाता की राइटर्स बिल्डिंग में हुई थी। बासु ने 23 साल तक पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री का पद संभाला और सबसे लंबे वक्त तक सीएम रहने वाले देश के मुख्यमंत्रियों में से एक रहे। उस वक्त इन दोनों को शायद ही इस बात का अंदाजा होगा कि इस मुलाकात के 20 साल बाद ममता बनर्जी खुद उस पद पर काबिज होंगी। इस बीच ममता ने कांग्रेस से निकलकर अपनी खुद की पार्टी ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस बनाई।
14 मार्च 2000 को कांग्रेस के टिकट पर राज्यसभा के लिए मुंबई विधानसभा में नामांकन भरते लेजंडरी ऐक्टर दिलीप कुमार। उनके साथ महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री विलासराव देशमुख। दिलीप कुमार 2000 से 2006 तक राज्यसभा सांसद रहे।
योगी उन्नाव से बीजेपी उम्मीदवार साक्षी महाराज से भी नाराज बताए जा रहे हैं। साक्षी महाराज ने गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में बच्चों की मौत को नरसंहार बताया था। इसके अलावा साक्षी महाराज की बीजेपी के अंदरखाने इसलिए भी आलोचना हो रही है, क्योंकि उन्होंने विधानसभा स्पीकर हृदय नारायण दीक्षित को लेकर बयान दिया था कि ब्राह्मणों को राजनीति से दूर रहना चाहिए और पूजा-पाठ में ध्यान लगाना चाहिए।
हालांकि माना जा रहा है कि पूर्वी उत्तर प्रदेश में योगी ने पार्टी के विधायक के ऊपर जूता चलाने वाले सांसद शरद त्रिपाठी का संत कबीर नगर से टिकट कटवाने में जरूर सफलता पाई है।
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