लखनऊ: एआइएमआइएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने यूपी जिला पंचायत अध्यक्ष पद के चुनाव में भाजपा की जीत और सपा की हार पर प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने रविवार को ट्वीट करते हुए समाजवादी पार्टी पर निशाना साधा है।
असदुद्दीन ओवैसी ने आज ट्वीट करते हुए कहा कि, यूपी के 19 फीसदी आबादी वाले मुसलामानों का एक भी जिला अध्यक्ष नहीं है। मंसूबा बंद तरीक़े से हमें सियासी, म’आशी और समाजी तौर पर दूसरे दर्जे का शहरी बना दिया गया है।
उत्तर प्रदेश के 19 प्रतिशत आबादी वाले मुसलामानों का एक भी जिला अध्यक्ष नहीं है। मंसूबा बंद तरीक़े से हमें सियासी, म'आशी और समाजी तौर पर दूसरे दर्जे का शहरी बना दिया गया है।1/n
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) July 4, 2021
सपा का नाम लिए बिना साधा निशाना
उन्होंने दूसरे ट्वीट में लिखा, यूपी की एक सियासी पार्टी खुद को भाजपा का सबसे प्रमुख विपक्षी दल बताती है। ज़िला पंचायत के चुनाव में उनके 800 सदस्यों ने जीत दर्ज की थी, लेकिन अध्यक्ष के चुनाव में मात्र 5 अध्यक्ष की सीटों पर उनकी जीत हुई है ऐसा क्यों? क्या बाक़ी सदस्य भाजपा के गोद में बैठ गए हैं?
उत्तर प्रदेश की एक सियासी पार्टी खुद को भाजपा का सबसे प्रमुख विपक्षी दल बताती है। ज़िला पंचायत के चुनाव में उनके 800 सदस्यों ने जीत दर्ज की थी, लेकिन अध्यक्ष के चुनाव में मात्र 5 अध्यक्ष की सीटों पर उनकी जीत हुई है ऐसा क्यों? क्या बाक़ी सदस्य भाजपा के गोद में बैठ गए हैं? 2/n
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ओवैसी ने अपने तीसरे ट्वीट में लिखा, कन्नौज, मैनपुरी, बदायूँ, कासगंज, फ़र्रूख़ाबाद, औरैया जैसे जिलों में इस पार्टी के सबसे ज़्यादा उम्मीदवार जीतकर आए थे, लेकिन अध्यक्ष के चुनाव फिर भी हार गए। इन सारे ज़िलों में तो कई सालों से ‘परिवार विशेष’ का दबदबा भी रहा है।
मैनपुरी, कन्नौज, बदायूँ, फ़र्रूख़ाबाद, कासगंज, औरैया, जैसे ज़िलों में इस पार्टी के सबसे ज़्यादा प्रत्याशी जीत कर आए थे, लेकिन अध्यक्ष के चुनाव फिर भी हार गए, इन सारे ज़िलों में तो कई सालों से ‘परिवार विशेष’ का दबदबा भी रहा है। 3/n
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भाजपा से लड़ने की बात
असदुद्दीन ओवैसी ने अपने चौथे और आखिरी ट्वीट में कहा कि, अब तो हमें एक नई सियासी तदबीर अपनाना ही होगा। जब तक हमारी आज़ाद सियासी आवाज़ नहीं होगी तब तक हमारे मसाइल हल नहीं होने वाले हैं। भाजपा से डरना नहीं है, बल्कि जम्हूरी तरीके से लड़ना है।
अब तो हमें एक नई सियासी तदबीर अपनाना ही होगा। जब तक हमारी आज़ाद सियासी आवाज़ नहीं होगी तब तक हमारे मसाइल हल नहीं होने वाले हैं। भाजपा से डरना नहीं है, बल्कि जम्हूरी तरीके से लड़ना है। n/n
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