लखनऊ: उत्तर प्रदेश में होने वाले त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में आरक्षण का मामला देश की सर्वोच्च न्यायालय में पहुंच गया है। सुप्रीम कोर्ट में इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ के फैसले को चुनौती दी गई है।
शीर्ष अदालत में यह याचिका लखनऊ उच्च न्यायालय के अधिवक्ता अमित कुमार सिंह भदौरिया के क्लाइंट (मुवक्किल) ने दाखिल की है। याचिका में कहा गया है कि पंचायत चुनाव के आरक्षण में दलितों और वंचितों को संविधान में प्रदत्त अधिकारों का हनन हो रहा है।
क्या है पूरा मामला?
असल में, इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में 2021 के आरक्षण फॉर्मूले को खारिज करते हुए 2015 के चक्रानुक्रम के आधार पर नए सिरे से सीटों के आवंटन व आरक्षण का आदेश दिया था। उच्च न्यायालय ने साफ किया था कि प्रदेश में पंचायत चुनाव के लिए जारी की गई नई आरक्षण प्रणाली नहीं चलेगी, बल्कि 2015 को आधार मानकर ही आरक्षण सूची जारी की जाए।
इसके अलावा लखनऊ हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को आरक्षण सूची जारी करने की कार्रवाई 27 मार्च तक पूरी करने को कहा था। अदालत ने चुनाव की प्रक्रिया भी 25 मई तक पूरी कराने का आदेश दिया था।