लखनऊ: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को एक ऐसा निर्णय लिया है, जिससे संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) के अभ्यर्थियों को राहत मिलेगी। शीर्ष अदालत ने यूपीएससी से यह बताने को कहा कि ऐसे कितने छात्र हैं, जिन्होंने अपनी डिग्री का सर्टिफिकेट देरी से जमा किया लेकिन UPSC की मुख्य परीक्षा पास की है।
सुप्रीम कोर्ट ने आज सुनवाई के दौरान UPSC से कहा कि, अगर ऐसे उम्मीदवारों की संख्या कम है तो उनको इंटरव्यू में बैठने की इजाज़त क्यों नहीं दी जा सकती? उच्चतम न्यायालय ने कहा कि, यह एक असाधारण वर्ष रहा है, इसके लिए छात्र जिम्मेदार नहीं है।
अधिकांश विश्वविद्यालयों ने की देरी: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि, दिल्ली विश्वविद्यालय समेत अधिकांश विश्वविद्यालयों ने अक्टूबर के बाद परिणाम घोषित किए, क्या इसके लिए छात्र जिम्मेदार हैं? अगर उन्होंने परीक्षा पास की है और अपने डिग्री प्रमाणपत्रों को मुख्य परीक्षा से पहले पेश किया है तो इसको अनुपालन क्यों नहीं माना जा सकता। शीर्ष अदालत ने नोटिस किया है कि कोरोना महामारी के कारण कई यूनिवर्सिटी ने अपने परिणाम घोषित करने में देरी की थी।
दरअसल, सिविल सर्विस परीक्षा में शामिल उम्मीदवार की अभ्यर्थिता रद्द करने के UPSC के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है। याचिका में कहा गया है कि, सिविल सेवा परीक्षा नियम, 2020 के अनुसार शैक्षिक योग्यता का सर्टिफिकेट तय समय पर प्रस्तुत नहीं किया था, जिसके चलते उसकी अभ्यर्थिता रद्द कर दी गई।