Govardhan: गिरिराज महाराज की परिक्रमा मार्ग स्थित जंगलेश्वर महादेव मंदिर पहुंचकर अलवर के सांसद महंत बालक नाथ ने जलाभिषेक कर मनौती मांगी। उन्होंने तलहटी में संत-महंतों के बीच धार्मिक धरोहरों के सरंक्षण एवं संवर्धन को लेकर चर्चा की। पसोपा में आत्मदाह करने वाले साधु विजय दास की आत्मा की शांति हेतु प्रार्थना की।
इस अवसर पर अलवर सांसद महंत बालक ने बताया कि बाबा विजय दास ने भक्तिभाव, समर्पण, निष्ठा, जनभावनाओं और प्रकृति के उत्थान के लिए अपना बलिदान दिया है। जब सत्ता के लोगों ने सुनवाई नहीं की तो उनको इस तरह का कदम उठाना पड़ा। आत्मदाह के प्रयास से एक दिन पूर्व सरकार के मंत्री की अनर्गल बयानबाजी से साधु हताश हो गये और महाराज जी का 551 दिन से लगातार संघर्ष जारी था, सरकार राजस्थान की है, सरकार की उपेक्षा के कारण ऐसा कठिन निर्णय लेने को बाबा को विवश होना पड़ा। स्वयं मुख्यमंत्री करोली को लेकर संतों के लिए गलत बयानबाजी कर रहे हैं।
ब्रज चैरासी कोस की परिक्रमा में चल रहा अवैध खनन
आज संत हमारे बीच में नहीं हैं लेकिन उनकी हत्या हुई है। इस निर्णय को लेने में राजस्थान सरकार ने मजबूर किया है। ब्रज चैरासी कोस की परिक्रमा है और वहां पर अवैध खनन चल रहा है। भगवान श्रीकृष्ण की जीवन लीला के साक्षी ये पर्वत हैं। उनकी लीलाओं का कण-कण गवाह है। यहां उनके चरण पड़े हैं। हजारों व लाखों साधु-संत इस मिट्टी को पूजते हैं। धर्म और प्रकृति को बचाने के लिए उनका संघर्ष 551 दिन से जारी था।
आनन-फानन में सरकार ने किया वन क्षेत्र घोषित
इनके बलिदान ने सार्थक किया और आनन-फानन में सरकार ने वन क्षेत्र घोषित किया। ये काम 551 दिन पहले ही होना पड़ा। इस संत के बलिदान ने लाखों-करोड़ों संतों को प्रेरणा दी है। उनके बलिदान से ही श्रीकृष्ण की भूमि पुर्नजीवित हुई है। इस अवसर पर दीनबंधु दास महाराज ने गिरिराज महाराज का चित्रपट देकर उनका स्वागत किया।
ये रहे मौजूद
इस अवसर पर दीनबंधु दास शास्त्री महाराज, देवकीनंदन महाराज, श्याम दास महाराज, रामानुजाचार्य, अमित गोस्वामी, राजू, सोनी जी, अनूप, अशोक आदि थे।