लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 को देखते हुए यूपी के सात चेहरों को मोदी कैबिनेट में शामिल किया गया है। इनमें बीजेपी के सहयोगी अपना दल (सोनेलाल) की राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल सबसे ज्यादा चर्चा में हैं।
लोकसभा चुनाव 2014 में भाजपा के गठबंधन सदस्य अपना दल ने दो सीटों पर जीत हासिल की थी। इसके बाद मिर्जापुर से सांसद अनुप्रिया पटेल को केंद्र की मोदी सरकार में स्वास्थ्य राज्यमंत्री बनाया गया था। मगर, वर्ष 2019 में फिर से मोदी सरकार बनने पर केंद्रीय टीम में अपना दल को स्थान नहीं मिला। हालांकि, बुधवार को अनुप्रिया पटेल ने मोदी कैबिनेट विस्तार में राज्य मंत्री के रूप में शपथ ली है।
पिता सोनेलाल पटेल ने बनाया था अपना दल
बता दें कि यूपी की राजनीति में अनुप्रिया पटेल के पिता सोनेलाल पटेल अपनी एक अलग पहचान रखते रहे। उन्हें बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के संस्थापकों में से एक माना जाता है। हालांकि, बाद में वह बीएसपी से अलग हो गए और अन्य पिछड़ा वर्ग पर केंद्रित अपना दल बना लिया।
कानपुर शहर में 28 अप्रैल, 1981 को जन्मीं अनुप्रिया पटेल ने ग्रेजुएशन दिल्ली के लेडी श्रीराम कॉलेज से और एमिटी यूनिवर्सिटी से साइकोलजी में मास्टर डिग्री हासिल की। यही नहीं उन्होंने छत्रपति साहू जी महाराज विश्वविद्यालय (कानपुर) से एमबीए भी किया है। शुरुआती दौर में अनुप्रिया राजनीति से दूर ही रहीं। उन्होंने खुद भी कई बार कहा है कि वह सियासत में नहीं आना चाहती थीं, लेकिन वर्ष 2009 में पिता सोनेलाल की हादसे में मौत के बाद उनका जीवन पूरी तरह से बदल गया।
पिता की मौत के बाद राजनीति में एंट्री
अनुप्रिया पटेल ने पिता की मौत के बाद पार्टी की राष्ट्रीय महासचिव बनीं और पार्टी की कमान उनकी मां कृष्णा पटेल के पास आ गई। अनुप्रिया राजनीति में जैसे-जैसे अपनी अलग पहचान बनाती गईं, उनके परिवार में तनाव भी बढ़ते गए। यूपी विधानसभा चुनाव 2012 में अनुप्रिया वाराणसी की रोहनिया सीट से चुनाव जीतीं। फिर उनकी पार्टी ने दो साल बाद ही भाजपा से गठबंधन कर लिया और अनुप्रिया पटेल ने 2014 में मिर्ज़ापुर लोकसभा सीट पर जीत हासिल की। फिर उन्हें मोदी सरकार में मंत्री बनाया गया और अनुप्रिया पटेल को 36 साल की उम्र में सबसे युवा मंत्री माना गया।
चुनाव को लेकर परिवार में दरार
जब लोकसभा चुनाव जीतने पर अनुप्रिया ने रोहनिया विधानसभा सीट छोड़ी तो परिवार में इस सीट पर चुनाव लड़ने को लेकर रस्साकसी सामने आई। और यहीं से अपना दल में टूट शुरू हो गई। असल में, रोहनिया सीट पर अनुप्रिया के पति आशीष सिंह चुनाव लड़ना चाहते थे, लेकिन इस बात से मां कृष्णा पटेल ने इनकार कर दिया और स्वयं यहां से चुनाव लड़ीं। कृष्णा पटेल ये उपचुनाव हार भी गईं और मां-बेटी आमने-सामने भी आ गईं।
2016 में बनाई खुद की अलग पार्टी
इसके बाद अपना दल पार्टी पर कब्जे की जंग शुरू हो गई। रोहनिया उपचुनाव में हार के कुछ समय बाद कृष्णा पटेल ने बेटी अनुप्रिया पटेल और उनके कुछ सहयोगियों को सीधे पार्टी से बाहर कर दिया। हालांकि, अनुप्रिया की तब तक सियासत में अलग पहचान बन चुकी थी। वहीं, पार्टी पर हक के लिए दोनों पक्ष अदालत पहुंच गए और मामला अभी भी हाईकोर्ट में विचाराधीन है। इसी बीच वर्ष 2016 में अनुप्रिया पटेल ने अपनी अलग पार्टी अपना दल (सोनेलाल) बना ली। उधर, मां कृष्णा पटेल और बहन पल्लवी पटेल से उनका टकराव समय-समय पर होता रहा है।