फतेहपुर: शहर भर में नाबालिग ई-रिक्शा दौड़ा रहे हैं। जहां, जिस गली में मन आया उसी गली में रफ्तार भरते हुए निकल रहे हैं। इससे सवारियों की जान खतरे में है। वहीं,नियम-कानून का पाठ पढ़ाने वाले जिम्मेदारों के मौन रहने से नाबालिगों के ई-रिक्शा दौड़ाने के मामले बढ़ते ही जा रहे हैं। ऐसे में देखने वाली बात होगी कि बड़ी दुर्घटना के पहले कार्रवाई होगी या फिर बाद में। हालांकि, फिलहाल तो यात्रियों की जान खतरे में है।
राधानगर, गाजीपुर बस स्टैंड, आईटीआई, सादीपुर चौराहा, ज्वालागंज सहित कई व्यस्ततम मार्गों पर ई-रिक्शा की कमान नाबालिग हाथों में है। इन सभी जगहों पर ई-रिक्शा को बेहद खतरनाक ढंग से दौड़ाया जा रहा है। बिना किसी प्रशिक्षण और लाइसेंस के नाबालिग ई-रिक्शा दौड़ाते हुए खुलेआम नियमों की धज्जियां उड़ा रहे हैं। इन सबके बीच ई-रिक्शा में छह से आठ सवारियों को बैठाकर खतरा भी मोल ले रहे हैं।
अपनी भी जान जोखिम में डाल रहे
ऐसे में संतुलन बिगड़ने से बड़ी दुर्घटना हो सकती है, लेकिन इसकी चिंता न तो प्रवर्तन दल को है न ही यातायात पुलिस को। तमाम लापरवाहियों के बीच लोग अपनी जान खतरे में डालकर जोखिम ले रहे हैं। पुलिस हेलमेट, सीटबेल्ट से निकलकर यदि इस पर भी कार्रवाई करे तो न केवल व्यवस्था सुधरेगी बल्कि दुर्घटना बचेगी और राजस्व भी मिलेगा।
चौराहों पर लगे लगाम
शहर के कई चौराहों से ई-रिक्शा दौड़ाए जा रहे हैं। यहीं से नाबालिग भी रिक्शा चला चला रहे हैं। यदि चौराहे पर तैनात पुलिस अधिकारी-पुलिसकर्मी ऐसे वाहन चालकों पर कार्रवाई करें तो रोक लग सकती है। साथ ही संघ के पदाधिकारियों से बातचीत कर नाबालिगों से ई-रिक्शा चलाने पर रोक लगाई जा सकती है।
कोरोना गाइडलाइन बेअसर
एक जगह से दूसरी जगह दौड़ रहे ई-रिक्शा चालक कोरोना गाइडलाइन का पालन नही कर रहे हैं। छह से सात सवारी और ड्राइविंग सीट पर भी सवारियों को बैठाकर चलाया जा रहा है। जहां एक ओर सरकार सोशल डिस्टेंसिंग और वीकेंड लॉकडाउन का पालन करवाने के लिए जोर दे रही है तो वहीं ई-रिक्शा चालक अपनी मनमानी से सरकार की मंशा पर पानी फेर रहे हैं।