शैलेंद्र सिंह, लखनऊ: उत्तर प्रदेश में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर काबू में है, लेकिन तीसरी लहर की आशंका जताई जा रही है। ऐसे में लोगों द्वारा लापरवाही से मास्क इधर-उधर फेंकने से खतरा और बढ़ सकता है। इससे बचने की जरूरत है। साथ ही स्वच्छ रहने और आस-पास स्वच्छता रखने की जरूरत है। इसी को ध्यान में रखते हुए वाराणसी के दो बच्चों ने बोलने वाली डस्टबिन बनाई है।
वाराणसी के ट्रस्टीय सक्षम स्कूल के दो बच्चों आयुष और रेशमा ने बोलने वाली डस्टबिन बनाई है, जो पुराने मास्क को नष्ट करने के साथ लोगों को स्वच्छ भारत अभियान के बारे में प्रेरित करेगी। इसे नाम दिया गया है Electric Covid-19 Killing Mask Dustbin. ये इलेक्ट्रिक डस्टबिन प्रोटोटाइप है, जिसे मेक इन इंडिया के तहत बनाया गया है। बता दें कि आयुष और रेशमा की मां सक्षम स्कूल में ही दाई का काम करती हैं।
पुराने मास्क आसानी से हो सकेंगे डिस्ट्रॉय
इलेक्ट्रिक डस्टबिन बनाने वाले 12 वर्ष के आयुष और रेशमा ने बताया कि, लोग अपने यूजलेस मास्क को इधर-उधर फेंकने के बजाए इलेक्ट्रिक डस्टबिन में डालेंगे तो वह पूरी तरह जलकर नष्ट हो जाएंगे। इससे वायरस फैलने का खतरा नहीं रहेगा और लोग अपने पुराने मास्क को भी आसानी से डिस्ट्रॉय कर सकेंगे। उन्होंने कहा कि, अभी कोरोना संक्रमण पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ है और इसी बीच कोरोना की तीसरी लहर ने लोगों को डरा दिया है। ऐसे में हम सब को मिलकर सावधानी बरतनी चाहिए।
कैसे काम करता है इलेक्ट्रिक डस्टबिन
दोनों जूनियर ने बताया कि, ये डस्टबिन मेटल के चादर से बना हुआ है, जिसकी लंबाई करीब 3 फुट है। डस्टबिन के ऊपरी हिस्से में एक छोटा सा सेंसर ढक्कन लगा है, जो किसी व्यक्ति के डस्टबिन के नजदीक आने पर ऑटोमेटिक ओपन हो जाता है। डस्टबिन के ढक्कन के खुलते ही आप अपने यूजलेस मास्क को डस्टबीन के अंदर डाल देंगे। डस्टबीन में मास्क जैसे ही पहुंचेगा इसके अंदर लगा सेंसर 20 सेकेंड के लिए डस्टबीन में लगे हीटर को ऑन कर देगा, जिससे मास्क सेकेंडों में जलकर नस्ट नष्ट हो जाएगा। डस्टबिन में 200 मास्क के इकट्ठे होने पर इसका हीटर ऑन हो जाता हैं। इसमें दोनों ऑप्शन हैं- मैनुअल बटन और ऑटोमेटिक।
किन-किन सामानों का हुआ प्रयोग
इस इलेक्ट्रिक डस्टबिन को बनाने में इस्तेमाल सामान, खर्च और समय के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि, इस डस्टबिन को बनाने में 6 दिन का समय लगा है और करीब 3500 रुपये का खर्च आया है। इसे बनाने में अल्ट्रासोनिक सेंसर, गियर मोटर, मोशन सेंसर, हीटर प्लेट 1000 वाट, स्पीकर, स्विच का इस्तेमाल किया गया है।
सक्षम स्कूल की संस्थापिका सुबिना चोपड़ा ने कहा कि, हमारे स्कूल के दो छोटे-छोटे बच्चों ने इलेक्ट्रिक डस्टबिन बनाई है, जो वाकई कोरोना काल में एक बढ़िया प्रयास साबित हो सकता है। इसके लिए हम खुश हैं और पूरे स्कूल की ओर से उन्हें शुभकामनाएं हैं। उन्होंने बताया कि, हमारे यहां स्कूल में एपीजे अब्दुल कलाम स्टार्टअप लैब है, जहां बच्चे विज्ञान के क्षेत्र में देश को और विकासशील बनाने के लिए नए-नए अविष्कार करते हैं। हम अपने स्कूल में गरीब बच्चे या जिनके माता-पिता नहीं हैं, ऐसे बच्चों की पूरी मदद करते हैं। इस स्कूल में बच्चों की पढ़ाई, कॉपी-किताब नि:शुल्क हैं।