लखनऊ: यूपी सरकार ने साल 2018 में सर्पदंश से होने वाली मौत को राज्य आपदा घोषित किया था। इसके अनुसार, सांप के काटने से होने वाली मौत पर मृतक के परिवार को चार लाख रुपये का मुआवजा दिया जाना था। हालांकि, इसमें कई प्रकार की शिकायतें सामने आईं, जिसके बाद शासन ने सभी जिलाधिकारियों के लिए अहम निर्देश जारी किए हैं।
उत्तर प्रदेश शासन के अपर मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने सभी जिलाधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा कि, शासन के संज्ञान में आया है कि सर्पदंश से मौत को प्रमाणित करने के लिए मृतक की विसरा जांच के लिए फॉरेंसिक लैब भेजी जाती है और मृतक की विसरा जांच रिपोर्ट की प्रतीक्षा में मृतक के आश्रितों को सहायता समय से उपलब्ध नहीं करायी जाती है।
विसरा जांच में प्रमाणित नहीं होती मौत
उन्होंने कहा कि, फॉरेंसिक स्टेट लीगल सेल के अनुसार सर्पदंश के प्रकरणों में विसरा रिपोर्ट को प्रिजर्व करने का कोई औचित्य नहीं है। उनके द्वारा अवगत कराया गया है कि विसरा जांच रिपोर्ट से सर्पदंश से मृत्यु प्रमाणित भी नहीं होती है।
अब करना होगा इन नियमों का पालन
ऐसे में स्टेट मेडिको लीगल सेल के परामर्श के अनुसार, सर्पदंश से मौत होने की दशा में विसरा जांच रिपोर्ट की कोई प्रासंगिकता न होने के कारण सही से विचार करके सर्पदंश से मृतक के आश्रितों को सहायता उपलब्ध कराए जाने के लिए इस प्रक्रिया का पालन किया जाय:
- मृतक का पंचनामा कराया जाय।
- मृतक का पोस्टमार्टम कराया जाय।
- पोस्टमार्टम के पश्चात मृतक की विसरा रिपोर्ट प्रिजर्व करने की आवश्यकता नहीं है।
- सर्पदंश से मौत की दशा में मृतक के आश्रितों को अधिकतम सात दिन के अन्दर सहायता राशि उपलब्ध कराई जाए।