लखनऊ: उत्तर प्रदेश में देश का दूसरा सबसे लंबा एक्सप्रेसवे बनने जा रहा है, जिसे नाम दिया गया है- गंगा एक्सप्रेसवे। यह एक्सप्रेसवे परियोजना इसी साल सितंबर से शुरू होगी, जो राज्य के पश्चिमी हिस्से को पूर्वी उत्तर प्रदेश से जोड़ने का काम करेगी।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (UPEDIA) इस परियोजना के लिए निविदा जारी करने की तैयारी कर रहा है, जो मेरठ को प्रयागराज से जोड़ेगी। भविष्य में इस परियोजना का विस्तार वाराणसी तक किया जा सकता है और एक्सप्रेस-वे को 519 गांवों से जोड़ा जाएगा।
गंगा एक्सप्रेसवे के बारे में कुछ प्रमुख तथ्य:
- इस 6-लेन एक्सप्रेसवे परियोजना की सभी संरचनाओं का निर्माण 8-लेन की चौड़ाई में किया जाएगा।
- इस पर करीब 36000 करोड़ रुपये खर्च होंगे और इसके अगले 26 महीनों में पूरा होने की उम्मीद है।
- एक्सप्रेस-वे की प्रस्तावित लंबाई 594 किमी है। इस पर 120 किमी प्रति घंटे की रफ्तार निर्धारित की गई है, जो देश में उच्चतम गति मानी जाती है।
- एक्सप्रेस-वे मेरठ के बिजौली गांव से शुरू होकर प्रयागराज के जुदापुर दांडू गांव में खत्म होगा।
- इस परियोजना को समय पर काम पूरा करने के लिए 12 पैकेजों में बांटा गया है।
- एक्सप्रेसवे यूपी के 12 जिलों से होकर गुजरेगा, इनमें मेरठ (15 किलोमीटर), हापुड़ (33 किमी), बुलंदशहर (11 किमी), अमरोहा (26 किमी), संभल (39 किमी), बदायूं (92 किमी), हरदोई (99 किमी), शाहजहांपुर (40 किमी), उन्नाव (105 किमी), प्रतापगढ़ (41 किमी), रायबरेली (77 किमी) और प्रयागराज (16 किमी) शामिल हैं।
- इस एक्सप्रेस वे से प्रयागराज और दिल्ली के बीच यात्रा का समय 10-12 घंटे से घटाकर 6-7 घंटे करने की आशा है।
- इस एक्सप्रेसवे परियोजना में 14 बड़े पुल, 126 छोटे पुल, आठ रोड ओवरब्रिज और 18 फ्लाईओवर शामिल होंगे।
- आपात स्थिति में भारतीय वायु सेना के विमान उतर सकें, इसके लिए एक्सप्रेस-वे पर एक हवाई पट्टी भी बनाई जाएगी।
- इस परियोजना क्षेत्र के आसपास के गांवों के लोगों को सुगम परिवहन मिल सके, इसके लिए एक्सप्रेस-वे के एक किनारे 3.75 मीटर चौड़ाई की सर्विस रोड बनाई जाएगी।
भारत का सबसे लंबा एक्सप्रेसवे
वहीं, बात अगर देश के सबसे लंबे एक्सप्रेसवे की बात आई तो यह दिल्ली और मुंबई के बीच बनाया जा रहा है। इसकी लंबाई लगभग 1305 किलोमीटर है। इस परियोजना में कुल 90 हजार करोड़ रुपये की लागत आएगी। इसे वर्ष 2018 में शुरू किया गया था और इसकी आधारशिला 9 मार्च, 2019 को रखी गई थी। कुल 5 राज्यों (राजस्थान, दिल्ली, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात) से गुजरने वाले इस एक्सप्रेसवे का निर्माण कार्य 2023 तक पूरा हो जाएगा।