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बाराबंकी के एक अभ्यर्थी ने मांगी इच्छामृत्यु, जानिए पूरा मामला

बाराबंकी के एक अभ्यर्थी ने मांगी इच्छामृत्यु, जानिए पूरा मामला

लखनऊ: विधान परिषद सचिवालय द्वारा वृत्‍त लेखक (रिपोर्टर) के पद पर नियुक्ति में धांधली का आरोप लगाते हुए बाराबंकी के एक अभ्‍यर्थी ने इच्‍छामुत्‍यु की मांग की है। वहीं, इस मामले को लेकर एक्टिविस्ट व अधिवक्‍ता डॉ. नूतन ठाकुर ने उच्‍च स्‍तरीय जांच की मांग की है।

रिपोर्टर के पद पर नियुक्ति में भ्रष्‍टाचार का आरोप  

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भेजे अपने शिकायती पत्र में डॉ. नूतन ठाकुर ने कहा कि, इस परीक्षा के अभ्यर्थी अलोक कुमार वर्मा द्वारा उन्हें दी सूचना के अनुसार इस परीक्षा में पूर्व विधान परिषद सभापति रमेश यादव, प्रमुख सचिव विधान परिषद और प्रमुख सचिव विधानसभा के रिश्तेदारों के साथ ही तनेजा कमर्शियल कॉलेज आलमबाग के अभ्यर्थियों से भारी रिश्वत लेकर शोर्टहैण्ड में बिलकुल शून्य ज्ञान वाले लोगों को गलत ढंग से भर्ती की गयी है।

बाराबंकी के एक अभ्यर्थी ने मांगी इच्छामृत्यु, जानिए पूरा मामला

उन्‍होंने लिखा कि, भर्ती कराये जाने की जिम्मेदारी टीआरएस डाटा प्रोसेसिंग प्राइवेट लि् को दी गयी, जबकि इस टीआरएस कंपनी के मालिक वीडीओ परीक्षा में हुई धांधली में एसआइटी जांच में दोषी पाए जाने पर पहले से ही जेल में बंद हैं। इसके बाद भी विधान परिषद भर्ती के लिए उसी दागी कंपनी को जान-बूझकर चुना गया, जिससे खुलकर बेईमानी की जा सके।

मामले की उच्‍च स्‍तरीय जांच की मांग

एक्टिविस्‍ट ने पत्र में लिखा कि, अभ्‍यर्थी अलोक ने कहा है कि उन लोगों द्वारा बार-बार कहने के बाद भी इस मामले में कोई कार्यवाही नहीं हो रही है। इसलिए यदि सरकार न्याय नहीं दे रही है तो उन्हें इच्छामृत्यु की अनुमति ही दे दे। डॉ. नूतन ठाकुर ने इसे अत्यंत गंभीर स्थिति बताते हुए अविलंब उच्च स्तरीय जांच कराते हुए कार्यवाही की मांग की है।

बाराबंकी के एक अभ्यर्थी ने मांगी इच्छामृत्यु, जानिए पूरा मामला

सीएम से लेकर राष्‍ट्रपति तक लिखा पत्र

वहीं, भारत खबर से बातचीत में अभ्‍यर्थी आलोक वर्मा ने बताया कि, इस परीक्षा में हुए भ्रष्‍टाचार को लेकर हमने मुख्‍यमंत्री, राज्‍यपाल, प्रधानमंत्री और राष्‍ट्रपति तक को पत्र भेजा, लेकिन हमें कोई जवाब नहीं मिला। यहां तक की इस भर्ती परीक्षा की जानकारी जुटाने के लिए आरटीआई भी फाइल की, लेकिन 45 से 50 दिन बीत जाने के बाद भी संतुष्टि भरा जवाब नहीं आ रहा। अगर जवाब आ भी रहा है तो केवल इस मुद्दे से भटकाने वाले जवाब दिए जा रहे हैं। आलोक ने बताया कि, इस मामले को लेकर वे मुख्‍यमंत्री जनता दरबार में भी गए थे, लेकिन अधिकारियों ने उनका पत्र पढ़ने के बाद उन्‍हें अंदर जाने ही नहीं दिया। वह जब भी जनता दरबार जाने की कोशिश करते हैं तो उन्‍हें बाहर से ही लौटा दिया जाता है।

सरकार से इच्‍छामृत्‍यु की मांग

आलोक वर्मा ने दावा किया कि अक्‍टूबर 2020 में इस परीक्षा में च‍यनित अभ्‍यर्थियों की परीक्षा सिर्फ पांच मिनट के लिए फिर से करा दी जाए तो हकीकत सामने आ जाएगी। उन्‍होंने यह भी कहा कि, इस परीक्षा को दोबारा कराने में जो खर्च आएगा वह सरकार को इसका दोगुना देने को तैयार हैं और साथ ही फिर सरकार इन्‍हें जो सजा देगी वह भी मंजूर होगी। लेकिन अगर परीक्षा में भ्रष्‍टाचार निकलकर सामने आता है तो दोषियों पर कार्रवाई हो और इस परीक्षा को फिर से आयोजित कराकर योग्‍य अभ्‍यर्थियों का चयन किया जाए। सरकार अगर ऐसा नहीं कर पा रही है तो हमें इच्‍छामृत्‍यु की ही इजाजत दे दे, क्‍योंकि इसके अलावा हमारे पास और कोई रास्‍ता नहीं बचता है।

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