लखनऊ: उत्तर प्रदेश में बसपा (बहुजन समाज पार्टी) शासनकाल में हुए 1100 करोड़ रुपए के चीनी मिल घोटाला मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने बड़ा एक्शन लिया है।
चीनी मिल घोटाला मामले में ईडी ने बीएसपी के पूर्व एमएलसी मोहम्मद हाजी इकबाल की 1097 करोड़ रुपये की कुल सात संपत्तियों को अटैच किया है। हाजी इकबाल पर अवैध खनन से नामी, बेनामी संपत्ति खरीदने जैसे कई और भी आरोप हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, ईडी के निशाने पर इकबाल की 2500 करोड़ की संपत्ति है।
2019 में सीबीआइ ने दर्ज की थी एफआइआर
हाजी इकबाल के खिलाफ वर्ष 2019 में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआइ) ने एफआइआर दर्ज करके जांच शुरू की थी। सीबीआइ की जांच में हाजी की तमाम अवैध संपत्तियों का खुलासा हुआ था, जिस पर ईडी को भी जांच में शामिल किया गया था। प्रवर्तन निदेशालय की टीम ने आय से अधिक संपत्ति के मामले में जांच शुरू कर सबूत जुटाए। इसके बाद अक्टूबर, 2020 में सीबीआइ और इडी की टीम ने पूर्व बसपा एमएलसी हाजी इकबाल के घर पर छापेमारी की, जहां से करोड़ों की संपत्ति के कागजात व जेवरात मिले थे।
क्या है मामला?
दरअसल, बसपा प्रमुख मायावती के शासनकाल में वर्ष 2010 से लेकर 2011 के दौरान तकरीबन सात बंद चीनी मिलों को औने-पौने दामों पर बेचे जाने का मामला सामने आया था। इसके अलावा 14 अन्य चीनी मिलों को बेचे जाने को लेकर छह अलग-अलग पीई (प्रारंभिक जांच) दर्ज की गईं। इस तरह 21 चीनी मिलों को बेचने में हुए घोटाले के कारण राज्य सरकार को 1,179 करोड़ रुपए के राजस्व का घाटा हुआ था।
योगी सरकार ने की थी सीबीआइ जांच की सिफारिश
सत्ता में आने के बाद अप्रैल, 2018 में प्रदेश की योगी सरकार ने 21 चीनी मिलों की बिक्री में हुई गड़बड़ियों के मामले में सीबीआइ जांच की सिफारिश की थी। इसके बाद सीबीआइ लखनऊ की एंटी करप्शन ब्रांच ने अप्रैल, 2019 में चीनी मिल घोटाले का केस दर्ज किया था। सीबीआइ ने गोमतीनगर थाने में नवंबर, 2017 को दर्ज कराई गई FIR को अपने केस का आधार बनाते हुए सात चीनी मिलों में हुई धांधली में रेगुलर केस दर्ज किया, जबकि 14 चीनी मिलों में हुई धांधली को लेकर छह पीई दर्ज की थीं। इस भ्रष्टाचार के मामले में सीबीआइ के साथ-साथ ईडी ने भी सक्रियता बढ़ा दी थी।