लखनऊ: उत्तर प्रदेश त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में ड्यूटी करने वाले शिक्षकों की मौत को लेकर उत्तर प्रदेश शिक्षक संगठनों ने बड़ा दावा किया। उनके दावों के अनुसार इस दौरान प्रदेश भर में कुल 1621 शिक्षकों ने दम तोड़ा है। हालांकि, यूपी सरकार ने ऐसा जवाब जो सभी को चौंकाने वाला है।
शिक्षा विभाग ने मानी तीन शिक्षकों की मौत
प्रदेश सरकार के अनुसार, 1621 नहीं बल्कि सिर्फ तीन शिक्षकों की ही मौत हुई है। यूपी बेसिक शिक्षा विभाग ने प्रेस नोट जारी करते हुए सिर्फ तीन शिक्षकों की मौत होने की बात मानी। साथ ही कहा कि, नियमानुसार जल्द ही उन्हें अनुग्रह राशि का भुगतान कराया जाएगा।
इससे पहले मंगलवार को शिक्षक संगठनों ने प्रदेश भर की जिलेवार सूची जारी की। संगठनों के दावों के अनुसार शिक्षकों, शिक्षामित्रों और अन्य विभागीय कर्मचारियों ने सरकार के आदेश का ईमानदारी से पालन करते हुए अपनी जान दी है। उन्होंने सरकार से मांग की है कि मृतकों के परिवारों को एक-एक करोड़ रूपए मुआवजा और परिवार के एक योग्य सदस्य को नौकरी दी जाए।
यूपी प्राथमिक शिक्षक संघ ने सीएम को लिखा पत्र
उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष दिनेश चंद्र शर्मा ने इस संबंध में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र भी लिखा है। उन्होंने सीएम से मांग की है कि 1621 शिक्षाकर्मियों की मौत कोरोना वायरस की चपेट में आने के बाद हुई है। उन्हें यह संक्रमण पंचायत चुनावों की ड्यूटी के दौरान हुआ था।
शिक्षक संघ के दावों के अनुसार कोरोना के कहर का सबसे ज्यादा असर आजमगढ़ के कर्मचारियों पर दिखाई दिया है। यहां सबसे ज्यादा 68 लोगों ने अपनी जांन गंवाई है। वहीं गोरखपुर में 50 ने दम तोड़ा है। इसके अतिरिक्त लखीमपुर में 47, रायबरेली में 53, जौनपुर में 43, प्रयागराज में 46, लखनऊ में 35, सीतापुर में 39, उन्नाव में 34, गाजीपुर में 36, बाराबंकी में 34 शिक्षाकर्मियों ने कोरोना से अपनी जान गंवाई है।
23 जिलों में 25 से ज्यादा शिक्षकों की मौत
दिनेश चंद्र शर्मा के दावों के अनुसार, प्रदेश के 23 जिले ऐसे हैं जहां पर 25 से ज्यादा शिक्षकों और कर्मचारियों को कोरोना के कारण जान से हाथ धोना पड़ा है।