लखनऊ: उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता कल्याण सिंह का शनिवार रात निधन हो गया। वे काफी लंबे समय से बीमार थे और राजधानी स्थित एसजीपीजीआई ने भर्ती थे। उनके निधन की खबर सुनते ही राजनीतिक गलियारों में शोक की लहर दौड़ उठी। उत्तर प्रदेश में तीन दिन का राजकीय शोक घोषित किया गया है और आज सार्वजनिक अवकाश रखा गया है। राम मंदिर आंदलोन का बड़ा चेहरा माने जाने वाले कल्याण सिंह की सरकार में पत्रकार कैसे काम करते थे, उनके कार्यालय के दौरान क्या कुछ प्रशासनिक फैसले लिए गए, कल्याण सिंह ने मुख्यमंत्री रहते हुए क्या कुछ कदम उठाए, इसको जनने के लिए भारतखबर.कॉम की टीम उस दौर के पत्रकारों के पास पहुंची।
इसी कड़ी में राम मंदिर आंदोलन को करीब से देखने वाले वरिष्ठ पत्रकार राजेन्द्र कुमार ने भारतखबर से खास बातचीत की। राजेन्द्र कुमार ने कई महत्वपूर्ण बिंदुओं पर चर्चा की। क्या कुछ उन्होंने कहा, पढ़िए हमारे इस विशेष अंक में…
कल्याण सिंह के शासन में पत्रकारों को नहीं दी जाती थी हिदायत
वरिष्ठ पत्रकार राजेंद्र कुमार का कहना है कि कल्याण सिंह के शासन काल में पत्रकारों और अधिकारियों को हिदायत नहीं दी जाती थी। उन्होंने कहा, ‘कल्याण सिंह एक बहुत बड़े नेता थे जिन्हें राम मंदिर आन्दोलन का नायक कहा जाता है। उन्होंने भाजपा को एक नया आयाम दिया, या यूं कहा जाए कि कल्याण सिंह ने उत्तर प्रदेश में भाजपा को सत्ता का रास्ता दिखाया। कल्याण सिंह की प्रशासनिक क्षमता बहुत जबदस्त थी, वो संगठन में काम करके कार्यकर्ताओं को उत्साहित करते थे और अफसरों से भी बेहतर काम करवाते थे।जनता क्या चाहती है, कल्याण सिंह इसको बहुत ही अच्छे ढंग से समझ जाते थे और यही वजह है कि राम मंदिर आन्दोलन से उन्होंने कई लोगों को जोड़ा।’
वहीं वरिष्ठ पत्रकार राजेंद्र कुमार ने यह भी बताया कि उन्होंने अधिकारियों को काम करने कि छूट दे रखी थी और जब कभी भी किसी के सामने कोई परेशानी आई तो वे खुद उसके सामने खड़े हो गए। उन्होंने कहा, ‘जब मस्जिद ढहाई गई तो उसकी पूरी जिम्मेदारी कल्याण सिंह ने ली और कहा कि ये मेरी नाकामी है। कल्याण सिंह ने मुख्यमंत्री बनते ही प्रशासनिक सुधार लागू किए। उत्तर प्रदेश में नक़ल विरोधी कानून कल्याण सिंह की देन है। माफियों के खिलाफ सख्त कार्यवाही करने के लिए एसटीएफ का गठन किया।‘