लखनऊ। इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन (आईआईए) के अध्यक्ष अशोक अग्रवाल को कार्यभार संभाले हुए एक महीने से ज्यादा का वक्त हो चुका है। इस दौरान वे लगातार उद्यमियों से उनकी समस्याओं को सुन रहे हैं। साथ ही सरकार से बातचीत कर उनकी समस्याओं का हल निकालने का प्रयास भी कर रहे हैं। कोरोना की चुनौतियों के बीच उद्यमियों के लिए संकट और चुनौती लगातार बढ़ती जा रही है। इस बीच कोरोना की तीसरी लहर के आने का ऐलान भी हो चुका है। ऐसे में उद्यमी इन सारी समस्याओं से किस तरह निपटेंगे? सरकार से क्या उम्मीदें हैं? इन सारे मसलों पर भारत खबर के संवाददाता सुशील कुमार ने आईआईए के अध्यक्ष अशोक अग्रवाल से बात की। पेश हैं बातचीत के अंश…
- अध्यक्ष बनने के बाद लगातार उद्यमियों के साथ बैठकें कर रहे हैं। क्या समस्याएं हैं उनकी?
सरकार जितने भी प्रयास कर रही है। योजनाएं ला रही है, वे सभी निचले स्तर तक लागू नहीं हो पा रहीं हैं। जहां पर यूपीसीडा से प्लान लिया गया है। वहां सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार का मामला सामने आ रहा है। उद्यमियों को परेशान किया जा रहा है।
- यूपीसीडा से क्या शिकायतें हैं आपकी?
देखिए, एक योजना के तहत उद्यमियों को प्लाट जो उपलब्ध कराए जा रहे हैं, उसकी जिम्मेदारी यूपीसीडा की है। 50 सालों से लोगों ने प्लाट लिया है। इस बीच अगर दो भाईयों के बीच बंटवारे की नौबत आती है और अलग-अलग उद्योग लगाए जाने हैं तो नक्शा पास नहीं किया जाता है। दो प्लाट को एक प्लाट करना है तो उसको लागू नहीं किया जाता है। नक्शा पास नहीं होने की वजह से फायर की एनओसी तक नहीं मिल पाती है। इसके लिए उद्यमियों को दौड़ाया जा रहा है।
- फायर की एनओसी समेत टैक्स आदि की भी समस्याएं सुनने में आती हैं। आखिर टैक्स को लेकर क्या प्रॉब्लम है?
टैक्स की समस्या तो बहुत बड़ी है। यूपीसीडा में प्लाट लिया गया है तो यूपीसीडा मेनटेंस चार्ज के रूप में टैक्स देने के साथ ही हम नगर निगम या नगर पालिका को भी टैक्स देते हैं। इसमें भी एक और दिक्कत यह है कि प्लाट में जो निर्माण बना है, उतने ही क्षेत्र का टैक्स लेना चाहिए। लेकिन, ओपन एरिया का भी टैक्स मांगा जाता है। जबकि, देखा जाए तो उद्योग के लिए हमारे पास ओपन एरिया बड़ा होता है। समस्याओं का सैलाब भरा पड़ा है।
- सरकार तो कई वादे कर रही है। एमएसएमई को लेकर लगातार घोषणाएं कर रही है। क्या इससे कोई लाभ नहीं मिल रहा?
सरकार सिर्फ कागजी वादे कर रही है। नियम बना दिए गए हैं, इन नियमों में ही सब फंसे हैं। उद्यमियों के लिए 2017 में कई घोषणाएं की, कहा गया कि फैक्ट्री लगाने पर इतनी सुविधाएं दी जाएंगी लेकिन आज तक बजट तक जारी नहीं किया गया। लोगों ने अपनी जमापूंजी तक लगा दी, आज वे बेहद परेशान हैं। कहा गया कि सब्सिडी मिलेंगी लेकिन अभी तक कुछ भी नहीं मिला।
- आखिर इन समस्याओं का समाधान क्या है?
देखिए सरकार की मंशा ठीक नहीं है। आप गुजरात को देखिए, वहां पर उदाहरण के तौर एनओसी की समस्या के लिए कंसल्टेंसी रजिस्टर्ड कर दिए गए हैं। ये कंसल्टेंसी के लोग सुविधाएं देते हैं। अगर उनसे बात नहीं बनती तो हम दूसरे से संपर्क करते हैं। इस तरह हमारी सुविधाओं को देखते हुए समस्याओं का वहां पर समाधान हो जाता है। ये तो एक उदाहरण के रूप में है। ऐसी सुविधाएं कई विभागों में हैं। यहां पर तो सरकार अपने चंगुल से उद्यमियों को निकलने नहीं देते हैं। गुजरात मॉडल लागू हो तो यूपी में सुविधाएं काफी हो जाएंगी।
- सरकार या अधिकारियों से किसी स्तर पर कोई बातचीत हुई?
फायर की एनओसी की समस्या बहुत बड़ी है। इस मामले को लेकर अवनीश कुमार अवस्थी से बात हुई है। उन्होंने आश्वासन दिया है। समस्याओं को लेकर सुझाव मांगे हैं। डीजीपी मुकुल गोयल से भी बात हुई है। उनकी ओर से सकारात्मक रूख दिखा है। उन्होंने हर जिले में एसचओ लेवल पर नोडल अधिकारी की नियुक्ति करने का आदेश दिया है। साथ ही यह भी आदेश दिया है कि हर जिले में चार पांच इंडस्ट्री वालों से नंबर लेकर उनसे बात करते रहें, जिससे कि समस्याओं को निस्तारण हो सके।
- कानपुर देहात में जैनपुर इंडस्ट्रियल एरिया में उद्यमियों की जमीन पर संकट बना हुआ है। यूपीसीडा सुनने को तैयार नहीं है। क्या वहां पर कोई बात हुई है?
वहां पर हमारी बात हुई है। समस्या वहां भी बड़ी है। इसको लेकर हमने नवनीत सहगल से बात की है। इस मामले को लेकर कहा जा रहा है लेट फीस नहीं ली जाएगी। फिलहाल अभी तक तो यह सब चीजें धरातल पर नहीं आई हैं। देखिए आगे क्या होता है।
- सरकार तो लगातार समस्याएं सुनने और उनके समाधान की भी बात कर रही है। लेकिन, आपके अनुसार परिस्थितियां अलग दिख रहीं हैं।
बिल्कुल ऐसा ही है। सरकार अभी तक जो भी वादे कर रही है। वो सारे कागजी ही हैं। अखबारी दावे हैं। उद्यमियों की समस्याओं का समाधान उनके अनुसार नहीं हो रहीं हैं। सरकार ने उद्यमियों के संगठन को राजनीतिक रूप दे दिया है। लघु उद्योग भारती या भाजपा लघु उद्योग प्रकोष्ठ जैसे संगठन है। ये लोग कभी कोई बात करनी हो तो क्या सरकार से बात कर पाएंगे। ये तो खुद उनके नुमाइंदे हैं। दिखाने के लिए कर दिया जाता है कि हमने समस्याएं सुनीं। सिर्फ दिखावा किया जा रहा है।
- सीएम योगी पूर्वांचल से हैं। वो लगातार पूर्वांचल को लेकर फिक्रमंद दिखते हैं। आपकी पूर्वांचल को लेकर कोई प्लानिंग?
मैंने हाल ही में पूर्वांचल का दौरा किया है। वहां पर लोगों से बात की है। जौनपुर, मिर्जापुर, गाजीपुर, चंदौली आदि जिलों के कई उद्यमी आए थे। कमिश्नर, डीएम और जिला उद्योग के कई अधिकारी थे। मिर्जापुर के कमिश्नर ने काफी सकारात्मक बातचीत की। लेकिन, इन अधिकारियों के लेवल से सबकुछ नहीं होना है। सरकार ने बजट नहीं दिया है। हम सरकार के वोट बैंक नहीं हैं। इसलिए सरकार का ध्यान हमारी ओर नहीं है। सरकार का कागजी ध्यान ज्यादा है।
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