लखनऊ। उत्तर प्रदेश में विधान परिषद के चुनाव के लिए अधिसूचना जारी कर दी गई है। विधान परिषद की 13 सीटों के लिए 9 से लेकर 16 अप्रैल तक नामांकन किया जाएगा और मतदान के लिए 26 अप्रैल की तारीख मुकर्रर की गई है। बता दें कि 100 सदस्यों वाली यूपी की विधान परिषद की 38 सीटों के लिए विधायक वोट करते हैं, जिनमे से 13 सीटों पर मतदान होना है। 5 मई को इनमें से 12 का कार्यकाल पूरा हो चुका है और एक सीट पहले से ही खाली है।
जैसा की विधान परिषद के सदस्यों का चयन विधायकों द्वारा होता है तो ऐसे में बीजेपी को फायदा मिलने का पूरा चांस हैं। वहीं दूसरी तरफ 36 सीटों पर सदस्य स्थानीय निकाय द्वारा निर्वाचित होता है, जिसमें में भी बीजेपी की ही सत्ता है। इसके अलावा आठ सदस्य शिक्षकों द्वारा और आठ सदस्य स्नातक सदस्यों द्वारा चुने जाते हैं और 10 सीटों पर सदस्यों को राज्यपाल मनोनीत करते हैं।
इन सभी सदस्यों का कार्यकाल 6 साल के लिए होता है। विधायकों द्वारा चुने जाने वाले विधान परिषद सदस्यों में से एक तिहाई सदस्य हर दो साल पर चुने जाते हैं। विधान परिषद की जिन 13 सीटों का चुनाव है, वो विधायकों द्वारा चुने जाने हैं। एक सीट के लिए करीब 31 वोट की जरूरत होगी। दरअसल, जितनी सीटों पर चुनाव होता है यानी जितनी सीटें रिक्त होती हैं, उससे विधायकों की कुल संख्या से भाग करने पर जो संख्या आती है, एक एमएलसी के लिए उतने ही वोटों की जरूरत होती है।
इसके बाद भी बीजेपी के पास 21 वोट अतिरिक्त बचेंगे। ऐसे में बीजेपी राज्यसभा चुनाव की तरह 11वां उम्मीदवार मैदान में उतार सकती है। सपा-बसपा और कांग्रेस को मिलाकर विपक्ष दो सीटें आसानी से जीत सकता है, जिसके बाद भी उसके पास 9 विधायकों के वोट बचेंगे। ऐसे में विपक्ष तीसरा उम्मीदवार उतारता है, तो फिर राज्यसभा चुनाव की तरह से मुकाबला दिलचस्प हो जाएगा। बताते चलें कि इन 13 सीटों में सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की सीट भी शामिल है।