अमित गोस्वामी, संवाददाता
गौड़ीया वैष्णव सम्प्रदाय में माघ मास की त्रयोदशी को श्रील नित्यानंद महाप्रभु के आविर्भाव दिवस के रूप में मनाया जाता है।
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सोमवार को भक्ति वेदांत स्वामी मार्ग स्थित वृन्दावन चंद्रोदय मंदिर में नित्यानंद त्रयोदशी महामहोत्सव को बडे़ ही हर्षोउल्लस के साथ मनाया गया।
कार्यक्रम की श्रृंखला में भक्तों द्वारा विभिन्न प्रकार के पुष्पों का चयन कर मंदिर को पूरी तरह सजाया गया। इसके पश्चात छप्पन भोग, पालकी उत्सव एवं वैदिक मंत्रोंउच्चारण कर पंचगव्य, फलों के रस, औषधियों एवं पुष्पों से निताई गौर के महाभिषेक की प्रक्रिया को सम्पन्न किया गया।
श्रील नित्यानंद महाप्रभु द्वापर में प्रभु श्रीराम के अनुज लक्ष्मण, त्रैता युग में श्रीकृष्ण के बडे़ भाई बलराम एवं कलिकाल में नित्यानंद महाप्रभु के रूप में सन् 1474 में पश्चिम बंगाल के बीरभूम जनपद के छोटे से गांव एकचक्र में मुकुंद पंडित एवं पद्मावती जी के यहां अवतरित हुए।
इस अवसर पर भक्तों को सम्बोधित करते हुए वृन्दावन चंद्रोदय मंदिर के अध्यक्ष चंचलापति दास ने कहा कि चैतन्य महाप्रभु ने नित्यानंद प्रभु को अपना सर्वोत्तम भक्त भक्त स्वीकार किया है। वह रूप गोस्वामी को आदेश करते है कि नित्यानंद महाप्रभु सभी जीवों के लिए गुरुतत्व है। वही अनादि मूल अक्षर ब्रह्म है। वह तो हमारे रहने का धाम है। जहाँ नित्यानंद हैं, वहां हम है।
अपने वक्तव्य को पूर्ण करते हुए उन्होंने कहा कि आचार्य श्रील नरोत्तम दास ठाकुर जी नित्यानंद महाप्रभु के विषय में बतातेे हैं कि यदि आप भगवतधाम में श्री राधा कृष्ण के संग के लिए व्याकुल हैं। तो सर्वोत्त युक्ति यह है कि आप श्री नित्यानंद प्रभु का आश्रय ग्रहण करें।
कार्यक्रम में भक्तों ने महामंत्र की मधुर ध्वनि में मंत्रमुग्ध होकर नित्य किया एवं श्रीश्री निताई गौर से प्रेम भक्ति प्राप्ति हेतु कामना की। इस महामहोत्व में सहभागिता हेतु दिल्ली, गुरूग्राम, आगरा एवं मथुरा जनपद के लोगों ने बढ़चढ़ कर भाग लिया।