लखनऊ। उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनावों में अभी एक साल का वक्त है। इस बीच भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने तैयारियां शुरू कर दी हैं। सूत्रों के हवाले से खबर है उत्तर प्रदेश की कार्यकारिणी में व्यापक बदलाव किया जा सकता है। इसको लेकर सरगर्मी शुरू हो चुकी है। दिल्ली से लेकर यूपी तक मंथन चल रहा है।
सूत्रों की मानें तो एक बार फिर यूपी बीजेपी की कमान उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य को सौंपी जा सकती है। गौरतलब है कि 2017 के विधानसभा चुनावों के दौरान केशव प्रसाद मौर्य ही बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष थे। उनके रणनीतिक कौशल के दम पर ही बीजेपी को अप्रत्याशित सफलता हाथ लगी थी। हालांकि केशव प्रसाद मौर्य को सीएम पद का भी प्रबल दावेदार माना जा रहा था लेकिन, बाद में परिस्थितियां बदल गईं।
पंचायत चुनावों की असफलता से स्वतंत्र देव सिंह पर गिर सकती है गाज
हाल ही में बीते यूपी के पंचायत चुनावों में बीजेपी को अपने अनुमानों के अनुसार अपेक्षित सफलता हाथ नहीं लगी थी। इसका खामियाजा प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह को भुगतना पड़ सकता है। सूत्रों का दावा है कि उनको प्रदेश अध्यक्ष के पद से हटाए जाने की कवायद शुरू हो चुकी है।
अरविंद शर्मा का इंतजार हो सकता है खत्म
पीएमओ में तैनात पूर्व आईएएस अधिकारी कुमार अरविंद शर्मा (एके शर्मा) ने वीआरएस लेकर राजनीति में आने का निर्णय लिया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खास सिपहसालारों में शामिल एके शर्मा को यूपी में बड़ी जिम्मेदारी देने का निर्णय लिया गया था।
इस कारण उनको आनन-फानन में एमएलसी बनाकर सदन भी भेज दिया गया। यह माना जा रहा था कि उनको उपमुख्यमंत्री बनाया जाएगा। लेकिन, यूपी में केशव प्रसाद मौर्य और डॉ दिनेश शर्मा के रूप में पहले से ही दो डिप्टी सीएम थे। ऐसे में पेंच फंस गया। करीब छह महीने से पूर्वांचल में हैं और वहां पर पार्टी की रणनीतियों को अंजाम दे रहे हैं।
सूत्रों का कहना है कि एके शर्मा का इंतजार अब खत्म होने वाला है। उन्हें बहुत ही जल्द उपमुख्यमंत्री बनाया जा सकता है। इसके पीछे कई तर्क हैं। सूत्रों का कहना है कि अभी हाल में ही में पीएम मोदी से मुलाकात के दौरान उनको उपमुख्यमंत्री बनाने का रास्ता साफ कर दिया गया था। ऐसे में केशव अगर प्रदेश अध्यक्ष बनते हैं तो उन्हें हो सकता है कि उपमुख्यमंत्री के पद से हटाया जाए और एके शर्मा को उनकी जगह जिम्मेदारी दी जाए।
इन बिंदुओं पर चल रही चर्चा
एके शर्मा का उपमुख्यमंत्री बनना लगभग तय है। ऐसे में पार्टी में मंथन शुरू हो गया है। पार्टी के जिम्मेदारों का तर्क है कि अगर दोनों डिप्टी सीएम में से किसी को हटाया जाता है तो इसका नकारात्मक संदेश ना जाए। वहीं कुछ लोगों का मानना है कि तीन उपमुख्यमंत्री बनाए जाएं। लेकिन, कई रणनीतिकार इससे सहमत नहीं हैं। उनका कहना है कि पहले से ही दो उपमुख्यमंत्री के औचित्य को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं, ऐसे में तीन को एक ही पद दिया जाना और बखेड़ा ही बनेगा। हालांकि आम सहमति के बाद ही निर्णय लिया जाएगा। लेकिन, यह लगभग तय हो चुका है कि एके शर्मा को अब और इंतजार नहीं कराया जाएगा।
सात मंत्रियों पर भी लटकी तलवार
सूत्रों का दावा है कि यूपी की योगी सरकार की कैबिनेट के प्रदर्शन पर भी रणनीतिकार खुश नहीं हैं। ऐसे में करीब सात मंत्रियों की कुर्सी जानी लगभग तय है। हालांकि इस पर भी मंथन हो रहा है। विवादित मंत्रियों को हटाकार बीजेपी डैमेज कंट्रोल करना चाहेगी।
बैठक में सभी मंत्रियों के कामकाज, पंचायत चुनाव में उनके प्रभार वाले क्षेत्रों में पार्टी के प्रदर्शन और स्थानीय इकाई की रिपोर्ट के आधार पर यह निर्णय लिया जाएगा। बदलाव होने के बाद कुछ युवा चेहरों को मंत्रिमंडल में शामिल किया जा सकता है।