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उत्तराखंड के पहाड़ी गांवों में अनोखी पहल, बेटियों के अधिकार को दिया बढ़ावा

उत्तराखंड

उत्तराखंड के पौड़ी जिले में बच्चियों के अधिकार को लेकर एक शानदार पहल देखने को मिली है। जिला प्रशासन ने ‘घर की पहचान, नूनी कू नू’ (बेटी के नाम पर घर का नाम) अभियान शुरू किया हैं. इसके तहत ग्रामीणों को घर की दीवार पर बेटियों के नाम का नेमप्लेट लगाने को लेकर प्रोत्साहित किया जा रहा हैं. अभी तक करीब 100 परिवारों ने बेटियों के नाम का नेमप्लेट घर के बाहर लगा चुके हैं.

सामाजिक और व्यावहारिक बदलाव

पौड़ी जिले के मथाना गांव में शनिवार को 50 और परिवार घर के प्रवेश द्वार पर बेटियों के नाम का नेमप्लेट लगाएंगे. पौड़ी के मुख्य विकास अधिकारी आशीष भट्टगैन ने बताया, “पहाड़ी क्षेत्र की अर्थव्यवस्था में महिलाओं की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण हैं. ऐसी पहल से ना केवल उन्हें प्रेरणा मिलेगी, बल्कि सामाजिक और व्यावहारिक बदलाव के लिए प्रोत्साहन भी मिलेगा.”

लड़कियों के अधिकार को बढ़ावा

ग्रामीणों में भी इस शुरुआत के प्रति सकारात्मक प्रतिक्रिया देखने को मिली हैं. पहाड़ी क्षेत्र में महिलाएं घर के बाहर और अंदर दोनों ही जगहों पर सक्रिय भूमिका निभाती हैं. वे घरेलू जिम्मेदारी से लेकर जानवरों को चराने और खेती के कार्य संभालती हैं. नेमप्लेट का खर्च प्रशासन ही उठा रहा हैं. इसके साथ ही उन ब्लॉक्स की पहचान की जा रही हैं, जहां लड़कियों के अधिकार के प्रति जागरुकता की जरूरत हैं.

मुहिम को मिल रहा समर्थन

मल्ली गांव के निवासी बिपिन चंद्रा ने बताया, “मेरी साढ़े तीन साल की बेटी कशिश हैं. जब भी वह घर की दीवार पर अपना नाम देखती हैं, तो खुश हो जाती हैं. वह कहती है कि बड़ी होकर नाम के आगे डॉक्टर लगाएगी.” इस गांव में 45 घर ने मुहिम का समर्थन किया हैं. इसके साथ ही खिसरु ब्लॉक के बुदेशू गांव में भी 70 परिवारों ने सपॉर्ट किया हैं.

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